देहरादून। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने में स्वास्थ्य महकमा की ओर से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। चारधाम यात्रा में आने वाले तीर्थ यात्रियों की यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए स्वास्थ्य विेभाग ने 11 भाषाओं में एसओपी तैयार की गई है।
स्वास्थ्य विभाग ने हिंदी, अंग्रेजी के साथ गुजराती, मराठी, तेलगू समेत नौ स्थानीय भाषाओं में मानक प्रचलन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार कर बाहरी राज्यों को भेज दी है। जिसमें यात्रा शुरू करने से पहले यात्रियों को स्वास्थ्य संबंधी दिशा-निर्देश दिए गए।
बता दें केदारनाथ धाम के कपाट 10 मई को सुबह 7 बजे खोले जायेंगे। वहीं बदरीनाथ धाम के कपाट 12 मई को ब्रह्ममुहुर्त में सुबह 6 बजे, गंगोत्री धाम के कपाट 10 मई 12:25 पर खोले जाएंगे। वहीं यमुनोत्री धाम के कपाट दस मई को 10 बजकर 29 मिनट पर खोले जाएंगे। केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम उच्च हिमालयी क्षेत्र में है। जिनकी ऊंचाई समुद्र तल से 2700 मीटर अधिक है। इन क्षेत्रों में ठंड, कम आर्द्रता, अल्ट्रा वाइलेट रेडिएशन, हवा का कम दबाव से ऑक्सीजन की कमी के चलते स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग ने एसओपी में यात्रियों को सलाह दी कि कम से कम सात दिन के लिए चारधाम यात्रा की योजना बनाएं।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से तैयार की गई एसओपी के अनुसार केदारनाथ धाम और यमुनोत्री धाम में पैदल चढ़ते समय प्रत्येक एक से दो घंटे के बाद 5 से 10 मिनट तक विश्राम करें। इसके साथ ही यात्रा के लिए गर्म कपड़े, बारिश से बचाव के लिए रेनकोट, छाता, स्वास्थ्य जांच के लिए पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर साथ में रखें।
एसओपी में कहा गया है कि हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अस्थमा, मधुमेह से ग्रसित यात्री अपनी जरूरी दवा और डॉक्टर का नंबर अपने पास रखें। यात्रा के दौरान सीने में दर्द, सांस की तकलीफ, चक्कर आना, उल्टी आने पर नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या मेडिकल रिलीफ में प्राथमिक उपचार लें।