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कोरोना पर सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को दी हिदायत!

दिखाया आईना

  • डॉक्टरों को भी बेड नहीं मिल रहे, सोशल मीडिया पर ऐसी शिकायतें न दबाएं, हमें ये आवाजें सुनने दें
  • कोई नागरिक सोशल मीडिया पर शिकायत दर्ज करवाए तो आप उस जानकारी को गलत नहीं कह सकते
  • अगर मोदी सरकार ने ऐसी शिकायतों पर एक्शन लिया तो हम इसे अदालत की अवमानना मानेंगे

नई दिल्ली। देशभर में कहर मचा रही कोरोना महामारी के बीच ऑक्सीजन की कमी और व्यवस्थाओं में खामियों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में आज शुक्रवार को फिर सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने मोदी सरकार को आईना दिखाया और हिदायत देते हुए कहा, ‘हम यह बहुत साफ कह देना चाहते हैं कि अगर कोई नागरिक सोशल मीडिया पर अपनी शिकायत दर्ज करवाए तो यह नहीं कहा जा सकता है यह जानकारी गलत है। हम नहीं चाहते कि इस तरह की सूचनाओं को दबाया जाए। हमें ये आवाजें सुनने दें। अगर ऐसी शिकायतों पर एक्शन लेने की नौबत आई तो हम उसे अदालत की अवमानना मानेंगे।’
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने वैक्सीनेशन और ऑक्सीजन को लेकर मोदी सरकार से फिर सवाल पूछे हैं। उन्होंने पूछा है कि क्या वैक्सीन अलॉटमेंट के लिए एक राज्य पर दूसरे राज्य को प्राथमिकता दी जा रही है?

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से किए 5 सवाल
1. ऑक्सीजन टैंकरों और सिलेंडरों की सप्लाई को लेकर क्या कदम उठाए गए हैं?
2. आपको कितनी ऑक्सीजन सप्लाई की उम्मीद है? 3. निरक्षर और ऐसे लोगों के रजिस्ट्रेशन के लिए क्या व्यवस्था है, जिनके पास इंटरनेट नहीं है?
4. केंद्र कहता है कि 50% वैक्सीन राज्यों को मिलेगी, वैक्सीन मैन्युफैक्चरर्स इस मामले में निष्पक्षता कैसे बरतेंगे?
5. 18 से 45 वर्ष के बीच की कितनी आबादी है, केंद्र इसका स्पष्ट जवाब दे?

चीफ जस्टिस के सामने दूसरी याचिका पर दिलचस्प सवाल-जवाब
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना की बेंच के सामने भी कोविड ट्रीटमेंट और दवाइयों को लेकर एक पिटीशन फाइल हुई थी। इस पर अदालत और पिटीशनर सुरेश शॉ के बीच दिलचस्प सवाल-जवाब हुए।
सुप्रीम कोर्ट : क्या तुम डॉक्टर हो?
पिटीशनर : नहीं, मैं डॉक्टर नहीं हूं।
कोर्ट : कोविड के बारे में आपकी क्या जानकारी है?
पिटीशनर : मैं बेरोजगार हूं।
कोर्ट : ये बेहद हल्की याचिका है, इसे ऐसे आदमी ने दाखिल किया है, जिसे विषय के बारे में कोई जानकारी नहीं है। याचिकाकर्ता चाहता है कि हम इस बारे में निर्देश दें कि कोविड के लिए कैसे टेस्ट और ट्रीटमेंट हों। हम दाम तय करें। आप बताइए कि हम कितना दाम तय करें?
पिटीशनर : मेरे अकाउंट में केवल एक हजार रुपए हैं।
कोर्ट : हम एक हजार दाम लागू करते हैं। डिसमिस…

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