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उत्तराखंड : गुरुओं के आशीर्वाद से आसमां में चमके ये ‘सितारे’!

गुरु पूर्णिमा पर विशेष

देहरादून। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में गुरुओं से आशीर्वाद स्वरूप मिले गुरुमंत्र से आज देवभूमि के कई ‘सितारे’ दुनियाभर में अपनी चमक बिखेर रहे हैं। ये ‘सितारे’ आज अपने-अपने क्षेत्र की बड़ी शख्सियत हैं, लेकिन अपनी सफलता का श्रेय अपने गुरुओं को ही देते हैं। ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर उत्तराखंड को नई पहचान देने वाले चमोली के मनीष रावत आज भी अपने गुरु और द्रोणाचार्य अवार्डी अनूप बिष्ट की सलाह लिए बिना कोई कदम नहीं उठाते।
आजकल मनीष रावत भले बंगलूरू में तैयारी कर रहे हैं, लेकिन खेल से जुड़ी तकनीकी जानकारी के लिए वह आज भी अपने गुरु अनूप बिष्ट को ही फोन करते हैं। वह उनके कोच हैं। मनीष का अपने गुरु के प्रति समर्पण का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अनूप बिष्ट की तैनाती दूसरी जगह होने पर मनीष खुद भी उनके साथ जाने के लिए अड़ जाते हैं। गुरु के प्यार, आशीर्वाद और गुरुमंत्र का ही फल है कि मनीष रावत ने रियो ओलंपिक और वर्ल्ड एथलेटिक्स प्रतिस्पर्धा में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया। इतनी छोटी जगह से होने के बावजूद इस बड़े सपने को लेकर चले मनीष के इस सफर में गुरु अनूप बिष्ट की भूमिका अहम रही।आजकल भी अनूप बिष्ट ओलंपिक 2024 के लक्ष्य को लेकर मेहनत में जुटे हैं और कई होनहार खिलाड़ियों को तराश रहे हैं। 

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की तेज गेंदबाज मानसी जोशी कहती हैं कि उनके पीछे सारी मेहनत उनके गुरु की है। सेंट जोजफ्स एकेडमी में मानसी ने कोच वीरेंद्र रौतेला की वजह से ही प्रैक्टिस शुरू की थी। मानसी ने 2016 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना कदम रखा। इसके बाद महिला विश्वकप की उपविजेता भारतीय टीम का भी वह हिस्सा रहीं, वह समय हर भारतीय की आंखों को नम कर गया। इसके बाद मानसी ने अपने गुरु के सम्मान में उन्हें एक कार भी गिफ्ट की, इस पर गुरु वीरेंद्र रौतेला की आंखें भर आईं। वह कहते हैं कि यह मेरे लिए गर्व का विषय है कि मानसी मेरी शिष्य हैं। मानसी का कहना है कि उत्तराखंड की बेटियों में बहुत हुनर है। उन्हें भी वीरेंद्र रौतेला जैसे गुरु मिलें तो वह भी ऊंची उड़ान भर सकती हैं।

द वॉयस इंडिया किड्स में अपनी सुरीली आवाज का जादू चलाने वाली शिकायना मुखिया अब संगीत के क्षेत्र में बड़ा नाम है। 15 साल की शिकायना अपने पिता को ही अपना गुरु मानती हैं। शिकायना कहती हैं कि उन्होंने गाना अपने पिता से ही सीखा है। मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानती हूं कि मुझे ऐसे गुरु मिले हैं। शिकायना अपने पिता के साथ केवल गाने ही नहीं गातीं, बल्कि सामाजिक सरोकार में भी कदम से कदम मिलाकर चलती हैं। अपने प्रोजेक्ट चुनने में भी वह पिता की ही मदद लेती हैं। शिकायना के पिता विकास मुखिया ने बेटी को इस ऊंचाई तक पहुंचाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। जल्द ही शिकायना की आवाज बॉलीवुड की बड़ी फिल्मों में सुनाई देगी। शिकायना कहती हैं कि बिना उनके पिता के आशीर्वाद के वह कुछ नहीं। इसलिए वही उनके गुरु हैं।

भारतीय महिला क्रिकेट की सदस्य और ऑलराउंडर स्नेह राणा आज उत्तराखंड की हर बेटी के लिए प्रेरणा हैं, लेकिन इस हीरे को तराशा उनके गुरु व कोच नरेंद्र शाह और किरन शाह ने। स्नेह राणा का भारतीय महिला क्रिकेट की सदस्य बनने का सफर आसान नहीं था। 11 साल की उम्र में स्नेह ने लिटिल मास्टर क्रिकेट क्लब ज्वाइन किया। इसके बाद उन्होंने कई मैचों में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन इस बीच आई कई चुनौतियों के कारण उन्होंने पांच साल तक क्रिकेट से दूरी बनाई। पर हौसला नहीं डगमगाया। गुरुओं के सहयोग से उन्हें फिर नई उम्मीद मिली। नए जोश के साथ वह फिर मैदान पर उतरी और आज भारतीय महिला क्रिकेट का अहम हिस्सा हैं। गुरु पूर्णिमा पर उन्होंने अपने जीवन को नई दिशा देने के लिए अपने दोनों गुरुओं का आभार व्यक्त किया।

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