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उत्तराखंड में सस्ते घर का सपना होगा पूरा, अब धामी सरकार देगी इतने लाख सब्सिडी

देहरादून। राज्य में अब गरीबों के साथ कम और कम मध्यम आय वर्ग के लोगों के घर का सपना सरकार पूरा करेगी। इसके लिए बुधवार को धामी कैबिनेट ने राज्य की नई आवास नीति को मंजूरी दे दी। इस नीति में तमाम नए प्रावधान किए गए हैं, जिसके तहत ईडब्ल्यूएस आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए तय किए गए तीन लाख रुपए सालाना इनकम के मानक को बढ़ाकर पांच लाख रुपए सालाना इनकम कर दिया गया है। इसके साथ ही आवास खरीदने वाले व्यक्ति को स्टेट सब्सिडी के रूप में दो लाख रुपए दी जाएगी, जबकि पहले डेढ़ लाख रुपए का प्रावधान था। यही नहीं पहली बार उत्तराखंड सरकार ने आवास नीति में रो हाउसिंग को प्रमोट करने के लिए प्रावधान किया है।

भारत सरकार के अनुसार जिनकी वार्षिक इनकम तीन लाख रुपए है, वो EWS यानी इकोनामी वीकर सेक्शन में आएंगे। लेकिन अब उत्तराखंड सरकार ने इकोनामी वीकर सेक्शन के दायरे को तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख कर दिया है। हालांकि इसका एक नुकसान ये है कि अगर किसी व्यक्ति की आय 3 लाख से अधिक है तो उसे भारत सरकार की योजना पीएमजीएवाई (Pradhan Mantri Gramin Awas Yojana) से मिलने वाली सब्सिडी का लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन राज्य सरकार से मिलने वाली सब्सिडी का लाभ मिलेगा।

आवास नीति में अलग-अलग कैटेगरी के लिए अलग-अलग डेफिनेशन तैयार किए गए हैं, जिसके तहत 100 फीसदी इकोनामी वीकर, 15 फीसदी ईडब्ल्यूएस, 15 फीसदी ईडब्ल्यूएस के साथ-साथ 35 फीसदी एलआईजी और एलएमआईजी प्रोजेक्ट को लॉन्च किया जाएगा। ऐसे में अलग-अलग कैटेगरी को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग रियायत दी गई है। इसके साथ ही आवास के सेलिंग प्राइस का भी निर्धारण किया गया है।

नई आवास नीति के तहत ईडब्ल्यूएस मकान की सेलिंग प्राइस 9 लाख रुपए, एलआईजी मकान की सेलिंग प्राइस 14 लाख रुपए, एलएमआईजी मकान की सेलिंग प्राइस 25 लाख होगा। इसके साथ ही प्रोजेक्ट के साइज के अनुसार कुछ अन्य रियायत भी दिए जाएंगे, जिसके लिए आवास सचिव के अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कमेटी भी गठित की जाएगी। इसके अलावा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में मॉनिटरिंग कमेटी गठित की जाएगी, जिसमें निर्णय लिया जाएगा की कौन इस योजना के लिए क्वालीफाई होता है, साथ ही सचिव आवास ने बताया कि जितने भी इंसेंटिव दिए जाएंगे वो रीइंबर्समेंट के रूप में होगा, जिसमें स्टैंप ड्यूटी, लैंड यूज कन्वर्जन चार्जेस समेत अन्य चीज शामिल है।

बता दें पर्वतीय क्षेत्रों में एक रो हाउसिंग ‘बार्कली’ होता है, उसको प्रमोट करने के लिए पहली बार इस पॉलिसी में प्रावधान किया गया है कि अगर कोई डेवलपर इस प्रोजेक्ट को लेकर आ रहे हैं तो उनको, उनका प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद कनेक्टिविटी के लिए जो सड़क की जरूरत होगी, उस सड़क को सरकार डेवलप करके देगी, साथ ही कहा कि बार्कली रो हाउसिंग का प्रोजेक्ट में भी पर यूनिट सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।

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