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’62 के इतिहास को दोहराना चाह रहा चीन!

  • उत्तराखंड, अरुणाचल और सिक्किम में एलएसी पर बढ़ाए सैनिक, हथियार
  • पूर्वी लद्दाख के इलाकों में भारतीय सेना भी अलर्ट पर, बढ़ाई चौकसी
  • लेह लद्दाख के आसपास भारतीय वायु सेना के विमान भर रहे उड़ान

नई दिल्ली। लद्दाख के गलवान घाटी में खूनी संघर्ष के बाद भारत-चीन में तनातनी जारी है। वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी पर तनाव कम करने के लिए नई दिल्ली और बीजिंग की तरफ से सैन्य और राजनयिक प्रयास किए जा रहे हैं। इन सबके बीच चीन एलएसी के इलाकों में अपनी सैन्य मौजूदगी भी बढ़ा रहा है। एलएसी से लगे तीन राज्यों अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तराखंड में लगातार चीन की पीएलए के सैनिकों की आवाजाही बढ़ रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पैंगोंग त्सो झील, गलवान वैली के साथ ही पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाकों में चीनी सेना के जवान बढ़ते जा रहे हैं। पैंगोंग त्सो और गलवान के अलावा डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में भी भारत-चीन के जवान आमने-सामने हैं।
बीते बुधवार को भारत और चीन ने तनाव को घटाने के लिए राजनयिक स्तर पर बातचीत की। पूर्वी लद्दाख के गलवान में 15 जून को चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने पूर्वनियोजित तरीके से भारतीय सेना के जवानों पर हमला किया था। इसमें सेना के 20 जांबाज शहीद हो गए थे। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक पैंगोंग त्सो, गलवान वैली और पूर्वी लद्दाख के टकराव वाले इलाकों में चीन ने अपने सैनिकों की तादाद बढ़ा ली है। भारत के कड़े विरोध के बावजूद पॉइंट-14 के इलाके में चीन ने फिर ढांचा खड़ा किया है। रिपोर्ट में सबसे चिंता की बात यह है कि अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम में एलएसी पर पीएलए ने अपने जवानों के अलावा गोला-बारूद और हथियार में इजाफा किया है।
दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए भारतीय विदेश मंत्रालय में जॉइंट सेक्रटरी (ईस्ट एशिया) नवीन श्रीवास्तव और चीन के विदेश मंत्रालय में डीजी वू जियांगहाओ के बीच बुधवार को भी बातचीत हुई। विदेश मंत्रालय का कहना है, ‘बातचीत में इस बात पर जोर दिया गया कि दोनों पक्ष सख्ती से वास्तविक नियंत्रण रेखा का पालन और सम्मान करें।’
हैरानी की बात यह है कि जहां एक ओर रिपोर्ट मिल रही है कि चीन टकराव वाले इलाकों में सेना की तैनाती बढ़ा रहा है, वहीं चीन के विदेश मंत्रालय का कहना है कि दोनों देशों के बीच नेकनीयती और गहराई से वार्ता हुई है। एलएसी पर कड़वाहट को कम करने के लिए दोनों देशों की सेनाओं के कमांडरों ने भी बातचीत की थी। 22 जून को 14 कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और तिब्बत मिलिटरी डिस्ट्रिक्ट के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन के बीच 11 घंटे तक मैराथन मीटिंग चली थी।
मिलिटरी लेवल बातचीत में दोनों पक्षों के बीच पीछे हटने पर सहमति बनी थी। इसमें पूर्वी लद्दाख के टकराव वाले क्षेत्रों में भी दोनों देशों की सेनाओं के हटने पर आम राय बनी थी। हालांकि चीन से सावधान भारतीय सेना कोई भी कोर-कसर नहीं छोड़ रही है। आर्मी ने हॉट स्प्रिंग्स, डेमचोक, कोयूल, फुकचे, देपसांग, मुर्गो और गलवान में जवानों की तैनाती बढ़ा दी है।
इन सबके बीच भारतीय वायु सेना हाई अलर्ट पर है। सीमा के पास फ्रंटलाइन सुखोई एमकेआई 30 फाइटर जेट, मिराज-2000, जगुआर फाइटर एयरक्राफ्ट, अपाचे हेलिकॉप्टर और सीएच-47 चिनूक हेलिकॉप्टर तैनात हैं और बीच-बीच में उड़ान भर रहे हैं। खासकर लेह इलाके में आईएएफ के लड़ाकू विमान नियमित रूप से उड़ान भर रहे हैं।

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