जोशीमठ। उत्तराखंड के जोशीमठ शहर के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। पिछले कई दिनों से धंसाव के कारण जोशीमठ के कई मकानों में दरार आ गई है। जोशीमठ आध्यात्मिक, सामरिक दृष्टि से भी बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन लगातार यहां हो रहे भू-धंसाव से शासन प्रशासन की चिंता बढ़ी हुई है। वहीं भू-धंसाव को लेकर अब लोग और ज्यादा आक्रोशित हो गए हैं। एनटीपीसी की टनल का विरोध समेत विभिन्न मांगो को लेकर स्थानीय लोगों ने विशाल आंदोलन खड़ा कर दिया है।
आज शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोग जोशीमठ संघर्ष समिति के बैनर तले नगर पालिका परिषद के सामने एकत्रित हुए। आंदोलनकारियों ने एनटीपीसी और सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर विरोध जताया। आपदा प्रभावितों की रैली में शामिल हुए जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य व सामाजिक कार्यकर्ता इंद्रेश मैखुरी ने जोशीमठ आपदा के लिए एनटीपीसी की विष्णुघाट परियोजना को जिम्मेदार ठहराया है। इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि इसलिए जोशीमठ आपदा प्रभावितों की मांग है कि विष्णुघाट परियोजना को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए। उन्होंने कहा कि हेलंग मारवाड़ी बायपास का काम बंद होना चाहिए।
इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि जोशीमठ आपदा के इतने दिनों बाद भी आपदा प्रभावितों के विस्थापन, पुनर्वास और पुनर्निर्माण के के लिए सरकार ने कोई भी योजना लागू नहीं की है। ऐसे में उन्होंने जोशीमठ के अस्तित्व को बचाने के लिए सरकार त्वरित गति से काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी काम कछुआ चाल बंद होना चाहिए। आक्रोश रैली में शामिल महिलाओं ने कहा कि जोशीमठ के आपदा प्रभावितों में एनटीपीसी परियोजना को लेकर भारी आक्रोश है। एनटीपीसी की वजह से आज हम सड़क पर आ गए हैं।
बता दें कि अभी तक जोशीमठ में 863 भवनों में दरारें दर्ज की गई हैं, जबकि 181 भवनों को पूरी तरह से असुरक्षित घोषित किया जा चुका है। वहीं, होटल मलारी इन और माउंट व्यू के ध्वस्तीकरण का काम जारी है।