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किसान आंदोलन : 140 वकीलों ने कहा-…तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा!

दोराहेे पर मोदी सरकार

  • दिल्ली में बॉर्डर पर इंटरनेट सर्विस सस्पेंड करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लेटर पिटिशन दाखिल
  • 140 वकीलों ने पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इंटरनेट सेवा बहाल करने की मांग की
  • याचिका में कहा- किसानों को प्रदर्शन स्थलों पर इंटरने सेवा स्थगित रखना मौलिक अधिकार के खिलाफ
  • वकीलों ने कहा कि अभी मूकदर्शक बने रहे तो हमें कभी माफ नहीं करेगा इतिहास
  • प्रदर्शन करने वाले किसानों को आतंकी कहकर संबोधित कर रहे हैं कई मीडिया घराने

नई दिल्ली। मोदी सरकार के कृषि कानूनों को रद्द करने को लेकर किसानों के प्रदर्शन के कारण दिल्ली के बॉर्डर इलाके में इंटरनेट सेवा बंद किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल लेटर पिटिशन में कहा गया है कि तुरंत इंटरनेट सेवा बहाल किया जाए।
लेटर पिटिशन में 140 वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि इंटरनेट को सस्पेंड किया जाना कानून की नजर में गलत है। किसान जहां बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं, वहां इंटरनेट सस्पेंड करने का केंद्र सरकार का फैसला अधिकार का दुरुपयोग है। इस तरह से इंटरनेट का सस्पेंशन अनुच्छेद-19 (1) ए का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट से कहा गया है कि मामले में संज्ञान लिया जाए।
पत्र में बताया गया है कि किसान जिन बॉर्डरों पर प्रदर्शन कर रहे हैं, वहां छठे दिन इंटरेनट को सस्पेंड रखा गया है। किसानों की आवाज को बंद कर दिया गया है और मीडिया की ओर से सरकार की नेरेटिव फैलाई जा रही है। इस तरह से देखा जाए तो संवैधानिक मूल्यों पर हमला किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट को लिखे लेटर पिटिशन में अनुराधा भसीन बनाम केंद्र सरकार के मामले में दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र भी किया गया है। इस फैसले में कहा गया था कि इंटरनेट की पहुंच संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत मिले मौलिक अधिकार में शामिल है। यानी इंटरनेट सेवा अभिव्यक्ति की आजादी का पार्ट है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि जब मैजिस्ट्रेट इंटरनेट सस्पेंड करने का आदेश जारी करें तो वाजिब हो यानी संतुलन को देखना जरूरी है। याचिका में कहा गया है कि लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाया जा रहा है और अगर हम मूक दर्शक बने रहे ते इतिहास हमें माफ नहीं करेगा।
याचिका में गुहार लगाई गई है कि सरकार को निर्देश दिया जाए कि उसने बॉर्डर पर जो लोहे के कील लगाए है और सीमेंट के बैरियर लगाए हैं, उन्हें हटाया जाए। सिंघु बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर इंटरनेट सेवा बहाल की जाए। प्रत्येक बॉर्डर पर लोहे के 2,000 कीलें लगाई गई हैं। लोहे और सीमेंट के बैरिकेड लगाए गए हैं। किसानों को मूलभूत अधिकार से वंचित किया जा रहा है और ये अनुच्छेद-21 के तहत मिले जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। कई मीडिया प्रदर्शन करने वाले किसानों को आतंकी कहकर संबोधित कर रहा है। इस तरह से देश के तानेबाने को नुकसान हो रहा है और इस अन्याय को रोकने के लिए निर्देश जारी किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट में कई वकीलों की ओर से दाखिल याचिका में यह भी कहा गया है कि कुछ न्यूज चैनल की ओर से गलत खबरें फैलाई जा रही हैं, नफरत वाले न्यूज दिखाया जा रहा है और प्रोपगैंडा किया जा रहा है। समुदाय विशेष के खिलाफ सोशल नेटवर्क साइट्स के जरिये नफरत वाले कंटेंट फैलाए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि लाल किले पर कुछ शरारती तत्वों ने अराजकता फैलाई थी, लेकिन समुदाय विशेष पर इसके लिए दोषारोपण किया जा रहा है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर फर्जी न्यूज फैलाया जा रहा है और ये समाज के लिए खतरा है।

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