श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के जवानों पर पत्थर फेंकने वालों पर अब सरकार सख्त एक्शन लेने के मूड में है। रविवार को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी किया। इसके मुताबिक, पत्थरबाजी करते हुए पकड़े जाने पर पासपोर्ट नहीं मिलेगा। ऐसे लोग सरकारी नौकरी के लिए अप्लाई भी नहीं कर सकेंगे।
अधिकारियों के मुताबिक, कश्मीर सीआईडी की स्पेशल ब्रांच ने सभी सिक्योरिटी यूनिट को एक आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि राज्य के जिस व्यक्ति को भी पत्थरबाजी करते पकड़ा जाए, उसे किसी तरह का सिक्योरिटी क्लियरेंस न दिया जाए। पत्थरबाजी के आरोप लगने पर डिजिटल सबूत (वीडियो या फोटो) और पुलिस रिकॉर्ड की भी जांच की जाएगी। केंद्र सरकार पहले ही एक कानून में संशोधन कर सरकारी नौकरी के लिए सीआईडी की क्लीयरेंस रिपोर्ट को जरूरी कर चुकी है। आदेश के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति के परिवार का सदस्य और खास रिश्तेदार राजनीतिक पार्टी से जुड़ा है तो उसकी भी जानकारी देनी होगी।
किसी राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल होने के बारे में भी बताना होगा। जमात-ए-इस्लामी जैसे किसी विदेशी प्रतिबंधित संगठन से जुड़े होने की जानकारी भी मांगी जाएगी। कहीं काम कर रहे लोगों को यदि सीआईडी से दोबारा सत्यापन करवाना हो तो उन्हें नियुक्ति की तारीख, पोस्टिंग और पदोन्नति का विवरण भी देना होगा। इसके अलावा नौकरी कर रहे माता-पिता, पति-पत्नी या बच्चों की डिटेल भी देनी होगी।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने यह आदेश भी दिया था कि राज्य में जन्म लेने वाली महिला के पति को भी मूल निवासी का सर्टिफिकेट दिया जाएगा। जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद केंद्र सरकार ने निवासी प्रमाण-पत्र देने का नियम भी बदल दिया था। नए नियम के मुताबिक राज्य में 15 साल या इससे ज्यादा समय तक रहने वाले व्यक्ति को वहां का मूल निवासी माना जाएगा।
जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 हटाया गया था। इसके बाद पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी देखी गई है। 2019 में पथराव की 1999 घटनाएं हुई थीं। 2020 में ये घटकर 255 बार ही हुईं। 2021 में 2 मई को पुलवामा के डागरपोरा में मुठभेड़ के दौरान आतंकियों को बचाने के लिए लोगों ने पथराव किया था। इसके बाद वारपोरा में 12 मई को भी नकाबपोशों ने पथराव किया। इसके अलावा पत्थरबाजी की कोई बड़ी घटना सामने नहीं आई है। इससे पहले 2018 में 1458 और 2017 1412 घटनाएं सामने आई थीं।
9 अप्रैल 2017 को श्रीनगर बाई पोल के दौरान हिंसा भड़की थी। इसमें 8 लोगों की मौत हो गई थी। एक पत्थरबाज को सीआरपीएफ ने जीप के बोनट में बांध दिया था। फोर्स ने कहा था कि पत्थरबाजी से बचने के लिए ऐसा किया।
Home / चर्चा में / कश्मीर : सुरक्षाबलों पर पत्थर फेंकने वालों को नहीं मिलेगा पासपोर्ट और सरकारी नौकरी!
Check Also
चुनावी मौसम में जनता को राहत, कमर्शियल गैस सिलेंडर हुआ सस्ता…
नई दिल्ली। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 19 किलोग्राम वाले कमर्शियल सिलेंडर की कीमत में कटौती …