खतरे की घंटी
- ओमीक्रोन वेरिएंट की वजह से SARS-CoV-2 बना सबसे संक्रामक वायरस में से एकINSACOG ने कहा, भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्टेज में पहुंच गया है ओमीक्रोनकई शहरों में तेजी से फैल रहा नया वेरिएंट, ताजा लहर में बढ़े ICU मरीज : INSACOGडेल्टा पेशेंट 6-7 को संक्रमित करता था, ओमीक्रोन का आरओ उससे ज्यादा : विशेषज्ञ
नई दिल्ली : कोविड-19 का ओमीक्रोन वेरिएंट अब भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन स्टेज में पहुंच गया है। कई बड़े शहरों में यह वायरस का प्रमुख स्ट्रेन बन गया है।स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत बने जीनोमिक्स कंसोर्टियम INSACOG ने आज रविवार को बुलेटिन जारी किया। इसके मुताबिक ओमीक्रोन भारत के कई शहरों में बेहद तेजी से फैल रहा है। अभी तक ज्यादातर मामले एसिम्प्टोमेटिक या हल्के लक्षणों वाले रहे हैं मगर ताजा लहर में अस्पताल और आईसीयू में भर्ती होने मरीज बढ़े हैं और खतरे का स्तर वही है।INSACOG ने अपने ताजा बुलेटिन में कहा है कि ओमीक्रोन का एक सब-वेरिएंट BA.2 देश में कई जगहों पर मिला है। भारत में ओमीक्रोन का पहला केस 2 दिसंबर को कन्फर्म हुआ था। महज 7 हफ्तों के भीतर कम्युनिटी ट्रांसमिशन स्टेज आ गई है।गौरतलब है कि ओमीक्रोन की इतनी तेज रफ्तार सिर्फ भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में देखने को मिली है। कुछ ही हफ्तों में उसने डेल्टा को पीछे छोड़ दिया। शुरुआत में डेल्टा वेरिएंट का ‘आरओ’ (एक व्यक्ति कितनों को संक्रमित कर सकता है, उसकी संख्या) छह से सात के बीच था। ओमीक्रोन ने कोविड-19 को गजब की रफ्तार से फैलने में मदद की। अभी ओमीक्रोन का आरओ कन्फर्म नहीं है मगर विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि यह डेल्टा या उससे पहले के वेरिएंट से कहीं ज्यादा तेजी से फैलता है। डेल्टा वेरिएंट को अंटाकर्टिका छोड़ हर महाद्वीप तक पहुंचने में करीब 9 महीने लगे थे, ओमीक्रोन तो सातों महाद्वीप तक हफ्तों में पहुंच चुका है।ओमीक्रोन वेरिएंट ने कोविड-19 महामारी की रफ्तार कई गुना बढ़ा दी। अब SARS-CoV-2 दुनिया में सबसे तेजी से फैलने वाले वायरस में से एक हो गया है। वायरस की संक्रामकता तय करने के लिए वैज्ञानिक आरओ का इस्तेमाल करते हैं। यह संख्या बताती है कि किसी वायरस से संक्रमित एक व्यक्ति कितनों को संक्रमण दे सकता है। कोविड के मूल स्ट्रेन से संक्रमित लोग (आरओ) तीन व्यक्तियों को संक्रमित कर सकते थे। डेल्टा वेरिएंट में एक व्यक्ति से सात लोगों को संक्रमण हो सकता है।दुनिया में सबसे ज्यादा संक्रामक वायरस चेचक (मीजल्स) का है जिससे संक्रमित व्यक्ति 18 लोगों को बीमार कर सकता है। मीजल्स के संक्रमित होने के लिए व्यक्ति का मरीज के कमरे में होना भी जरूरी नहीं। इसके कण हवाओं में घंटों तक रह सकते हैं। साल 2019 में मीजल्स ने दुनियाभर में 90 लाख से ज्यादा को संक्रमित किया।यह तो साफ था कि ओमीक्रोन कोविड-19 का आखिरी वेरिएंट नहीं होगा। मगर दुनिया में ओमीक्रोन का सब-वेरिएंट आ गया है। यूरोप के कई देशों में बीए.2 तेजी से फैल रहा है। इस वेरिएंट के बारे में शक है कि यह तेजी से फैल सकता है। इससे दुनिया के कोविड की नई लहर की चपेट में आने का खतरा है।भारत में ओमीक्रोन के बीए.1 वेरिएंट के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। बीए.1 ओमीक्रोन का मूल वेरिएंट है। हालांकि बीए.2 भी भारत में है। इसे अब तक 40 देशों में पाया गया है, जिनमें ज्यादातर सैंपल डेनमार्क, भारत, ब्रिटेन, स्वीडन और सिंगापुर में मिले हैं। भारत में बीए.2 मौजूद है मगर यहां पर ज्यादातर लोग बीए.1 से संक्रमित हुए हैं। स्टेटंस सीरम इंस्टीट्यूट के रिसर्चर एंडर्स फोम्सगार्ड के मुताबिक बीए.1 से संक्रमित लोग बीए.2 की चपेट में आ सकते हैं। ऐसे में जो लोग ओमीक्रोन के बीए.1 की चपेट में आए हैं, वे बीए.2 से दोबारा संक्रमित आ सकते हैं। ऐसे में महामारी में एक साथ दो लहर का पीक आ सकता है।