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सुप्रीम कोर्ट से त्रिवेंद्र को मिली बड़ी राहत, नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

  • उच्चतम न्यायालय ने कहा, सीएम रावत इस मामले में एक पक्ष नहीं था और हाईकोर्ट ने दिया सीबीआई जांच का आदेश, यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ

नई दिल्ली। एक पत्रकार द्वारा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ रिश्वत के आरोप लगाए जाने के बाद आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के उस निर्देश को चौंकाने वाला बताते हुए उस पर रोक लगा दी है जिसमें मुख्यमंत्री के खिलाफ सीबीआई जांच की बात कही गई थी। जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की खंडपीठ ने 27 अक्टूबर को पारित हाई कोर्ट के फैसले के पैराग्राफ 155.6, 155.7 और 155.8 को रोक दिया।
आज गुरुवार को मुख्यमंत्री रावत के लिए अपील करते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि उच्च न्यायालय ने सीएम के खिलाफ सीबीआई की जांच का आदेश दिया था, जो इस मामले की पक्षकार नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा ,”सीएम इस मामले में एक पक्ष नहीं था और उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच का आदेश दिया। यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है, जो सरकार को अस्थिर करने से इनकार करता है, क्योंकि इस तरह के फैसले सीएम के इस्तीफे की मांग नहीं करते हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सीएम पर आरोप लगाने वाले पत्रकार की ओर से दलील दी कि यह मामला गंभीर है क्योंकि रावत के खिलाफ आरोपों से जुड़े व्हाट्सएप संदेश और बैंक खाते हैं।
सीएम के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश कानून का उल्लंघन है। न्यायमूर्ति शाह ने उल्लेख किया कि उच्च न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 226 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करने के बाद उच्च न्यायालय नैनीताल ने सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था। जब याचिकाकर्ताओं द्वारा इस तरह का कोई मुद्दा ही नहीं उठाया गया था। जस्टिस भूषण ने कहा- ‘सीएम कोई पार्टी ही नहीं थी और इस तरह का कठोर आदेश पारित किया गया है।” अदालत ने 27 अक्टूबर के फैसले के कुछ हिस्सों का याचिका में नोटिस जारी किया है । चार सप्ताह बाद मामले की सुनवाई होगी।
गौरतलब है कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को रावत के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे तथा पुलिस को पत्रकार उमेश शर्मा द्वारा सीएम के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने के लिए एफआईआर दर्ज करने का भी निर्देश दिया था। ऐसा करते समय अदालत ने उमेश शर्मा द्वारा दायर याचिका को इन आरोपों वाले वीडियो प्रकाशित करने के लिए इस साल उनके खिलाफ दायर एक प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की।
न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा था, ‘यह न्यायालय का विचार है कि राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ लगाए गए आरोपों की प्रकृति को देखते हुए, यह सच को उजागर करना उचित होगा। यह राज्य के हित में होगा कि संदेह साफ हो जाए। इसलिए, याचिका की अनुमति देते समय, यह न्यायालय जांच के लिए भी प्रस्ताव करता है।’

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