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उत्तराखंड : दैवीय आपदा में ढहे मकानों को मिलेगा ज्यादा मुआवजा!

  • मुख्यमंत्री ने कहा, अब पक्के मकानों की श्रेणी में शामिल होंगे पहाड़ी क्षेत्रों में फटालों की छत वाले मिट्टी से बने घर

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से आज मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास में राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के प्रतिनिधिमण्डल ने भेंट की। जिसमें एनडीएमए के सदस्य राजेन्द्र सिंह, संयुक्त सचिव रमेश कुमार एवं संयुक्त सलाहकार नवल प्रकाश शामिल थे। इस अवसर पर प्रदेश में प्राकृतिक आपदा एवं राहत व बचाव कार्य जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुयी।
इस मौके पर त्रिवेंद्र ने कहा कि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में फॉरेस्ट फायर और लैंड स्लाईड जैसी प्राकृतिक आपदाओं से अधिक नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन के तहत बनायी जाने वाली योजनाओं में वनाग्नि जैसी प्राकृतिक आपदाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए। दूरस्थ क्षेत्रों में राहत कार्य पहुंचाना भी एक चुनौती है। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से युवा मंगल दलों एवं महिला मंगल दलों को आपदा की परिस्थिति में राहत एवं बचाव कार्य के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसमें घायलों को फर्स्ट एड देने जैसे प्रशिक्षण भी शामिल हैं। उन्होंने एनडीएमए द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम ‘आपदा मित्र‘ के प्रशिक्षण में ट्रॉमा ट्रेनिंग (फर्स्ट एड) जैसे प्रशिक्षणों को शामिल करने की बात कही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबन्धन के तहत मैदानी क्षेत्रों के अनुसार योजनाएं बनायी जाती रही हैं। परन्तु पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं का स्वरूप एवं प्रभाव मैदानी क्षेत्रों से भिन्न है, इसलिए योजनाओं एवं दिशानिर्देशों को बनाते समय पर्वतीय क्षेत्रों के अनुरूप योजनाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकतर मकान मिट्टी एवं छतें फटालों से बनायी जाती हैं। आपदा की गाईडलाईन के अनुसार ऐसे मकानों को कच्चा मकान कहा जाता है। इससे आपदा प्रभावितों को काफी कम आर्थिक मदद प्राप्त होती है। पर्वतीय क्षेत्रों में इस प्रकार के मकानों को पक्के मकानों की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। जिससे आपदा पीड़ितों को ज्यादा मुआवजा मिल सके।
एनडीएमए के सदस्य राजेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री के दिशानिर्देशों के अनुपालन में देशभर में ‘आपदा मित्र‘ योजना शुरू की गयी है। इस योजना के तहत आपदा मित्रों को 12 से 15 दिन का बचाव एवं राहत कार्य का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस योजना के अन्तर्गत देश के 720 जनपदों में से 350 जनपदों में लगभग एक लाख आपदा मित्र तैयार करने की योजना है। जिनमें उत्तराखंड के 02 जनपद हरिद्वार एवं उधमसिंहनगर शामिल हैं। मोदी ने वर्ष 2024 तक देश को आपदा प्रबन्धन के क्षेत्र में नम्बर वन बनाने का लक्ष्य दिया है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण द्वारा विभिन्न राज्यों में शेल्टर बनाए जा रहे हैं। यदि राज्य सरकार जमीन उपलब्ध करा दे तो प्रत्येक जनपद में आपदा से प्रभावित 3 हजार से 5 हजार लोगों के ठहरने हेतु शेल्टर बनाए जा सकते हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रकार के शेल्टर आपदा प्रभावितों को राहत पहुंचाने में काफी मददगार साबित होंगे एवं इसके लिए राज्य सरकार की ओर से हर सम्भव सहायता की जाएगी। इस अवसर पर सचिव एसए मुरूगेशन, उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिद्धिम अग्रवाल एवं अधिशासी निदेशक पीयूष रौतेला भी उपस्थित थे।

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