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स्मार्ट एग्रीकल्चर में रमे पिथौरागढ़ के मनोज, बने ‘एप्पल मैन’

  • सूटेड- बूटेड कंप्यूटर इंजीनियरिंग का छोड़ा मोह
  • सेब की कई विदेशी प्रजातियों का कर रहे उत्पादन
  • चार साल पहले लगाए पौधे, अच्छी हो रही आमदानी
  • ए-क्वालिटी का सेब तैयार कर दूसरे राज्यों को सप्लाई का सपना
  • मन में एक टीस भी, सरकार से सेब के पौधों पर सब्सिडी की दरकार

देहरादून। उत्तराखंड के एक युवा कंप्यूटर इंजीनियर ने सूटेड- बूटेड की नौकरी का मोह छोड़, अपनी माठी का तिलक लगाना मुनासिब समझा। नाम पाया एप्पल मैन। यदि किसी व्यक्ति में कुछ करने का जुनून हो तो राहें अपने-आप आसान हो जाती हैं। जी हां आज हम यहां बात कर रहे हैं एक युवा की सफल काहानी पर। यह सफल कहानी है पिथौरागढ़ जिले के सिनतोली गांव मनोज सिंह खड़ायत की। मनोज ने कंप्यूटर में इंजीनियरिंग की। लेकिन, बड़े शहरों की चक्काचैंध का मोह छोड़कर गांव में ही रहकर सेब की बागवानी करने का फैसला किया। अब वह स्मार्ट एग्रीकल्चर में रम गए हैं। मनोज बताते हैं कि एक बार वह हिमाचल प्रदेश अपने रिश्तेदार के घर गए। वहां उन्होंने सेब का अच्छा उत्पादन देखा। उस आइडिया को उन्होंने अपने गांव आकर अपनाने का प्रयास किया। करीब चार साल पहले सन 2017 में उन्होंने अपने गांव में 25 पेड़ लगाए। खूब मेहनत की, इसी का परिणाम है कि आज वह सेब उत्पादन से अच्छा मुनाफा अर्जित कर रहे हैं। इस सफल परिणाम से वह काफी उत्साहित हैं। वह हर साल सेब की नई-नई प्रजाति के पौधे लगाकर अपने बगीचे का दायरा बढ़ाने में लगे हैं। इसी का नतीजा है कि आज उनके बगीचे में विदेशी प्रजाति के सुपर चीफ, रेड कैफ, सुपर डिलेसियस और कैमस्पर सेब की बड़े पैमाने पर पैदावार हो रही है। मनोज अपने जिले के इकलौते ऐसे किसान हैं जो सेब के विभिन्न प्रजातियों की बागवानी कर अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं। मनोज का सपना ए-क्वालिटी का सेब तैयार कर, उसे दूसरे राज्यों में सप्लाई करना है। वह बहरहाल सेब की क्वालिटी इंप्रूवमेंट करने पर ध्यान दे रहे हैं। साथ ही सीजनल सब्जियों का उत्पादन भी कर रहे हैं। लेकिन, मनोज के मन में एक टीस भी है। उनका कहना है कि यदि सरकार सेब के पौधों में सब्सिडी दे तो और अधिक पैमाने पर सेब का उत्पादन किया जा सकता है। अगर पलायन को रोकना है तो हमें आत्मनिर्भर होना होगा। सरकार को स्वरोजगार करने वाले युवाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए। ताकि, स्वरोजगार के जरिये राज्य को समृद्धशाली बनाया जा सके।

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