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सौर ऊर्जा उत्पादन से स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ रहा उत्तराखंड

देहरादून। उत्तराखंड के लिए पलायन एक बड़ी समस्या है। रोज़गार के लिए पलायन के चलते उत्तराखंड में गांव के गांव खाली हो रहे हैं और ज़मीन बंजर। हालांकि कोविड महामारी के चलते लॉकडाउन में रिवर्स पलायान हुआ। कई प्रवासी उत्तराखंडी लोग वापस लौटे। एक उम्मीद जगी कि ये लोग शायद वापस ना लौटें। लेकिन कई लोग वापस लौट गए। इनमें से कई प्रवासियों ने राज्य में ही रहकर कुछ करने की इच्छा सोची। ऐसे में राज्य सरकार ने संजीदगी दिखाते एक नई योजना बनाई जिससे बंजर ज़मीन सौर ऊर्जा उत्पादन हो और लोगों को रोजगार भी मिले। जिसके चलते राज्य में सूर्योदय स्वरोजगार योजना को लागू किया।
सूर्योदय स्वरोजगार योजना में मार्च 2022 तक 10 हज़ार लोगों को 25-25 किलोवाट के सोलर प्लांट देने का लक्ष्य तय किया गया। केंद्र सरकार के लक्ष्य के मुताबिक अक्षय ऊर्जा स्रोतों के ज़रिये बिजली उत्पादन में 40% तक बढ़ोतरी करनी है। 2022 के अंत तक देश में 100 गीगावाट सोलर ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से 40 गीगावाट बिजली उत्पादन रूफ टॉप सोलर पैनल के ज़रिये हासिल करना है। इस लक्ष्य को हासिल करने में उत्तराखंड इस अभियान से जुड़कर सौर ऊर्जा उत्पादन में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। राज्य में सूर्योदय स्वरोजगार योजना के पहले चरण को मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के रूप में प्रदेश में सितंबर 2020 से लागू किया जा चुका है। जिसके तहत 304 से ज्यादा मेगावाट की ग्रिड फीड सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना की जा चुकी है।

कैसे मिलेगा मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना का लाभ

मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना में 25 किलोवाट के सोलर प्लांट के लिए 40,000 प्रति किलोवाट की दर से कुल 10,00,000 रुपये का खर्च आना है। नियम के अनुसार इस योजना का लाभ लेने के इच्छुक लोगों को 3,00,000 रुपये जमा करने होंगे। इस योजना में 7,00,000 रुपये बैंक से ऋण लेना जरूरी है और लाभार्थी को 8% के ब्याज़ दर से किस्त चुकानी होगी। प्लांट से उर्जा उत्पादन शुरू होने पर राज्य सरकार की तरफ से 2,00,000 रुपये की सब्सिडी मिलेगी।

मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना ने बदली किस्मत

मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना से जहां कई लोगों को बिजली के बिल से निजात मिली, वहीं बिजली बेचकर उनकी कमाई भी होने लगी। सूर्योदय स्वरोजगार योजना से बिजली के होने वाले खर्चों पर कटौती के अलावा पांच हजार से 37 हजार रुपये तक की आय हो रही है।

कड़वे भी रहे अनुभव

पहाड़ में सौर ऊर्जा से रोज़गार देने के लिए वर्ष 2016 में 5 किलोवाट की सूर्योदय स्वरोज़गार योजना लाई गई थी। उस समय 3,20,000 रुपये में 5 किलोवाट का रूफ़ टॉप सोलर पैनल लगाने की योजना थी। लेकिन गांव के घरों में सिंगल फेज़ होने के कारण ये 5 की जगह 4 किलोवाट का हो गया। सिंगल फेज़ के चलते सोलर पैनल की क्षमता 1 किलोवाट कम करनी पड़ी। लेकिन लागत वही रही। इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में बिजली कटने जैसी गंभीर समस्याएं भी सोलर उद्यमियों को प्रभावित करने वाली हैं। बिजली कटौती होने पर सोलर पैनल से बन रही बिजली ऊर्जा विभाग को नहीं जा पाती और उद्यमी इसका ख़ामियाजा उठाते हैं।

जल्द शुरू होगा सूर्योदय स्वरोजगार योजना का दूसरा चरण

मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के अच्छे नतीजे मिलने के बाद अब केंद्र सरकार की सूर्योदय स्वरोजगार योजना के दूसरे चरण पर राज्य सरकार ध्यान केंद्रित कर रही है। सूर्योदय स्वरोजगार योजना के दूसरे चरण में तीन किलोवाट क्षमता के 3000 सौर संयंत्र पूरे प्रदेश में लगाए जाएंगे। केंद्र सरकार ने राज्य में इस योजना के संचालन को सैद्धांतिक सहमति दे दी है। अगले वित्तीय वर्ष से यह योजना शुरू होने के साथ ही राज्य हरित ऊर्जा में बड़ा योगदान देने में सक्षम हो जाएगा। इस योजना में भी बिजली के घरेलू कनेक्शनधारक उपभोक्ताओं को शामिल किया जाएगा। उपभोक्ताओं को इस योजना के अंतर्गत बिजली बिल में भी राहत मिलेगी। केंद्र सरकार इस योजना को राज्य में संचालित करने पर सहमति जता चुकी है। अब केंद्र की विधिवत सहमति लेने के प्रयास जारी हैं। योजना को जमीन पर उतारने के लिए सरकार होमवर्क कर रही है।
अगले वित्तीय वर्ष से इस योजना का लाभ राज्यवासियों को मिलना शुरू हो जाएगा। नए बजट में इस संबंध में प्रविधान के लिए ऊर्जा विभाग कवायद कर रहा है। योजना को अगले दो वित्तीय वर्षों अथवा ज्यादा अवधि के लिए लागू करने के बारे में भी सरकार के स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। ऊर्जा सचिव सौजन्या ने कहा कि सूर्योदय स्वरोजगार योजना को केंद्र से सैद्धांतिक सहमति मिलने के बाद राज्य में इसे क्रियान्वित करने के लिए खाका तैयार किया जा रहा है।

सौर स्वरोज़गार योजना में कुछ खामियां

इस पूरी प्रक्रिया को काफी जटिल बताया जा रहा है। सोलर प्लांट के लिए आया आवेदन यूपीसीएल को भेजा जाता है। प्लांट लगने की जगह से 300 मीटर के दायरे में ट्रांसफॉर्मर जरूरी होता है। ये तकनीकी योग्यता पूरी होने पर यूपीसीएल रिपोर्ट देता है जो ज़िले की समिति को भेजी जाती है। इस समिति में ज़िलाधिकारी या उनके द्वारा नामित मुख्य विकास अधिकारी, उद्योग विभाग के महाप्रबंधक, यूपीसीएल के अधिकारी, बैंक का अधिकारी और उरेडा के परियोजना अधिकारी शामिल होते हैं। एप्लीकेशन स्वीकार होने पर अलॉटमेंट लेटर मिलता है। फिर यूपीसीएल से पावर परचेजिंग एग्रीमेंट होता है। फ़ाइल सब्सिडी के लिए उद्योग विभाग में जाती है। इसके बाद लोन के लिए बैंक से बात और फिर पैनल लाने के लिए सोलर कंपनी से बात की जाती है। इसके अतिरिक्त सौर स्वरोज़गार योजना को पूरा करने में कुछ तकनीकी खामियां भी सामने आईं हैं। 25 किलोवाट के प्लांट के लिए कम से कम 63 केवीए (किलो वोल्टेज एम्पियर) का ट्रांसफॉर्मर होना चाहिए। पहाड़ के कई गांवों में 25-30 केवीए क्षमता के ट्रांसफार्मर लगे हैं। योजना लॉन्च करने के बाद इस मुश्किल पर शासन स्तर की बैठकें हुई। फिर इसमें बदलाव कर 25 की जगह 20 किलोवाट कर दिया गया। इस योजना में सोलर प्लांट की क्षमता तो घटा दी गई। लेकिन तकनीकी तौर पर एक गांव का एक ही व्यक्ति प्लांट लगा सकता है। उरेडा के मुख्य परियोजना अधिकारी एके त्यागी कहते हैं “पर्वतीय क्षेत्रों में सोलर प्लांट से बिजली ले जाने के लिए यूपीसीएल को इन्फ्रास्ट्रक्चर चाहिए। जिस पर बहुत ज्यादा खर्च आता है। मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के तहत 25 किलोवाट के सोलर प्लांट की कीमत 10 लाख रुपये की है और बिजली ले जाने की लागत 25 लाख रुपये की है। यूपीसीएल के लिए ये बेहद खर्चीला होता है। इसलिए हमने इस योजना के तहत ये नियम बनाया है कि प्लांट वही लगेगा जिसके 300 मीटर के दायरे में ट्रांसफॉर्मर भी हो।”

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