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ये कैसी तैयारी, उत्तराखंड निकाय चुनाव में ये छह पूर्व मुख्यमंत्री नहीं कर पाए मतदान

देहरादून। उत्तराखंड में गुरुवार को नगर निकाय चुनाव की वोटिंग प्रक्रिया को पूरा कराया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में मतदाताओं ने वोटर लिस्ट से नाम गायब होने की शिकायत की। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के मतदान से वंचित रहने के मामले ने पूरे दिन सनसनी मचाए रखी।

हरीश रावत मतदान से वंचित

दरअसल हरीश रावत का देहरादून में रिहायशी पता उनके मीडिया सलाहकार रहे राजीव जैन के राजीव जुयाल मार्ग स्थित घर का है। हरीश रावत हमेशा से इसी इलाके के माजरा आईटीआई वाले बूथ पर वोट डालते रहे हैं। इस बार मतदान के दिन जब उन्होंने अपना नाम मतदाता सूची में पता किया तो उन्हे अपना नाम नहीं मिला। चूंकि इस समय हरीश रावत डिफेंस कॉलोनी में रहते हैं लिहाजा उनके स्टाफ ने उस इलाके में भी पता किया लेकिन उन्हे नाम नहीं मिला। इसके बाद हरीश रावत ने निर्वाचन विभाग के अधिकारियों से अनुरोध किया कि उनका नाम नहीं है उसे जोड़ा जाए ताकि वो वोट दे सकें। हालांकि सर्वर डाउन होने का हवाला देकर निर्वाचन विभाग के कर्मियों ने उनसे मोहलत मांग ली। बाद में देर शाम वोटिंग खत्म होने के बाद बताया गया कि हरीश रावत का नाम डिफेंस कॉलोनी की वोटर लिस्ट में है। हालांकि तब तक वोटिंग खत्म हो चुकी थी और हरीश रावत वोट डालने से वंचित रह गए।

छह पूर्व सीएम नहीं डाल सके वोट

नगर निकाय चुनाव में उत्तराखंड के छह पूर्व मुख्यमंत्री वोट नहीं डाल पाए। हरिद्वार सांसद और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ही वोटिंग के अधिकार का प्रयोग कर पाए। दरअसल, हरीश रावत के वोट न कर पाने का मामला सोशल मीडिया पर खूब गरमाया। इसके बाद पूर्व सीएम के मामलों को खंगाला जाने लगा। जब जानकारी ली गई तो पाया गया कि पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी भी वोट नहीं कर पाए।

भगत सिंह कोश्यारी का वोट पिथौरागढ़ में है। मतदाता सूची में गलत नाम के कारण वे वोट नहीं कर सके। वहीं, पूर्व सीएम रिटायर्ड मेजर जनरल बीसी खंडूरी बीमार और अस्पताल में भर्ती होने के कारण वोट नहीं कर पाए। पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक दिल्ली विधानसभा चुनाव में व्यस्त हैं। वहीं, पूर्व सीएम विजय बहुगुणा अस्वस्थ हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत नगर निकाय क्षेत्र के वोटर नहीं हैं। इस कारण दोनों ने मतदान नहीं किया। दरअसल, सीएम धामी का वोट ग्राम पंचायत नगला तराई, खटीमा में है। वहीं, पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत पौड़ी के ग्राम सभा सीरो में वोटर हैं।

पौड़ी में 9 साल की बच्ची भी वोटर

वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों का आलम ये रहा कि पौड़ी में 11 साल के बच्चे और 9 साल की एक बच्ची का भी वोटर लिस्ट में नाम शामिल कर दिया गया। दोनों के नाम वोटर लिस्ट में सामने आने के बाद परिजन हैरान रह गए।

कई अन्य लोगों के भी नाम गायब

वोटर लिस्ट से नाम गायब होने की शिकायतें हर ओर से आती रहीं। हालात ये हुए कि कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा माहरा, दून अस्पताल के पूर्व एमएस केसी पंत का नाम भी वोटर लिस्ट में नहीं था। पत्रकार अरविंद शेखर का नाम भी वोटर लिस्ट से गायब मिला। कई ऐसे लोग भी थे जो लोकसभा और विधानसभा में वोटिंग करते आए हैं लेकिन निकाय चुनावों की वोटर लिस्ट में उनका नाम ही नहीं था। ऐसे बहुत से लोग वोट डालने बूथ पर पहुंचे लेकिन मायूस होकर लौट आए।

पांच लाख लोग जोड़े फिर भी लोग छूटे कैसे

उत्तराखंड में निकाय चुनावों की तैयारी को कितने हल्के में लिया गया इसका पता इसी बात से चलता है कि पांच लाख वोटर्स का दावा करने वाले निर्वाचन विभाग ने पहले से चले आ रहे कई वोटर्स का नाम लिस्ट से गायब कर दिया। दरअसल पिछली बार निकाय चुनावों के दौरान कुल 84 निकाय ही थे। इस बार 100 निकाय हैं। पिछली बार जहां 25 लाख मतदाता थे तो इस बार आयोग ने दावा किया कि कुल 30 लाख मतदाता हो गए हैं। यानी पांच सालों में पांच लाख मतदाता और 16 निकाय बढ़े। लेकिन हैरानी इस बात की है कि आखिर पांच लाख मतदाता जोड़े जाने के बाद भी हर जगह से वोटर्स के नाम गायब होने की खबरें क्यों आईं।

कौन लेगा जिम्मेदारी

वोटर लिस्ट में इतनी गड़बड़ी और बड़ी संख्या में लोगों के नाम गायब होने की जिम्मेदारी कौन लेगा ये बड़ा सवाल है। शासन में बैठे जिम्मेदार अधिकारी क्या कर रहे थे ये बड़ा सवाल है। वोटर लिस्ट में अव्यवस्था के लिए किसे जिम्मेदरा माना जाए। ये हाल तब है जब निकाय चुनाव अपने नीयत समय से देरी से हुए हैं।

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