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खतरे में यमुनोत्री धाम : यमुना के उद्गम से निकलने वाली धाराएं मलबे से पटीं

बड़कोट। यमुनोत्री धाम और मंदिर परिसर के साथ ही तटवर्ती इलाकों पर खतरे की आशंका जताई जा रही है। यहां यमुना नदी के उद्गम और सप्त ऋषि कुंड से निकलने वाली तीन धाराओं की तलहटी मलबे और बोल्डरों से पट गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मलबा व बोल्डर आपदा का कारण बन सकते हैं, लेकिन प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।
यमुना के उद्गम यमुनोत्री धाम में सप्त ऋषिकुंड की ओर निकलने वाली तीन धाराओं की तलहटी वर्षों से मलबे और बोल्डरों से पटी हुई है। इस क्षेत्र में हर वर्ष मलबा व बोल्डरों की मात्रा बढ़ती जा रही है। यमुना नदी के मुहाने व मंदिर परिसर के बीच करीब 100 से 150 मीटर दायरे में मलबा व बोल्डरों के कारण जल का प्रवाह मंदिर की ओर हो गया है। इससे धाम में किए गए सुरक्षात्मक कार्यों की नींव पर भी बुरा असर पड़ रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यमुनोत्री धाम में जमा गाद, मलबा व बोल्डरों को समय से न हटाया गया तो इससे बड़ी तबाही हो सकती है। इसका असर धाम के साथ ही यमुना के तटीय क्षेत्रों में हो रहे निर्माण कार्यों पर पड़ सकता है। मलबे और बोल्डरों के चलते यमुना नदी के उद्गम व त्रिवेणी की तलहटी के दोनों ओर बनी घाटी में वर्ष 2007 में झील बन गई थी। हालांकि इससे उस समय कुछ नुकसान नहीं हुआ था। झील के धीरे-धीरे खुल जाने से लोगों ने राहत की सांस ली थी। नदी के मुहाने पर दोबारा से मलबा व बोल्डर होने से दोबारा झील बनी तो यह खतरा बन सकती है।
इस बाबत एसडीएम शालिनी नेगी का कहना है कि यमुनोत्री धाम में एकत्रित मलबे, बोल्डर और गाद के मामले को लेकर सिंचाई, राजस्व विभाग व मंदिर समिति के सदस्यों की टीम मौके पर भेजी जाएगी। उनकी रिपोर्ट आने पर जरूरी कार्रवाई की जाएगी।

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