देहरादून। प्रदेश में ई-फार्मेसी दवा व्यापारियों के लिए सिरदर्द बन गई है। दवाइयों के ऑनलाइन व्यापार से उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। जिसके चलते दवा कारोबारियों ने ऑनलाइन पोर्टलों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दवा के थोक विक्रेता हो या फिर फुटकर, अधिकांश का मानना है कि दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के कारण वह सड़क पर आ जाएंगे। ई फार्मेसी से मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव, फार्मासिस्ट की भी नौकरी पर संकट गहरा रहा है। इसके चलते केमिस्ट एसोसिएशन ने ई-फार्मेसी के विरोध में 31 दिसंबर को महाबंद की घोषणा की है। दून उद्योग व्यापार मंडल ने भी दवा कारोबारियों को समर्थन दिया है।ऑनलाइन कारोबार पर व्यापारियों ने कहा कि इससे जहां स्थानीय व्यापारियों का नुकसान हो रहा है, वहीं प्रदेश सरकार को भी कोई लाभ नहीं मिल रहा है। क्योंकि कंपनी जिस प्रदेश की है, वहीं जीएसटी अदा करती है। ऑनलाइन पोर्टल ग्राहकों को अपार वैरायटी दिखाते हैं और अलग-अलग प्रकार के प्रलोभन देकर माल बेच देते हैं। सरकार को कुछ ऐसा करना चाहिए कि ऑनलाइन व्यापार पर रोक लगे और स्थानीय व्यापारी का व्यापार बढ़े। स्थानीय व्यापारी अपनी दुकान पर कई लोग को रोजगार भी देता है। ऑनलाइन व्यापार से इन लोग की नौकरी पर भी संकट आ गया है। दून उद्योग व्यापार मंडल के संरक्षक व प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष अनिल गोयल ने कहा कि आज यह समस्या इनकी है, आने वाले वक्त में सभी व्यापारियों की हो सकती है। दून उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष विपिन नागलिया ने कहा कि संकट की इस घड़ी में सब केमिस्ट एसोसिएशन के साथ हैं और समस्या के निराकरण के लिए विरोध भी करना पड़ेगा तो करेंगे। उन्होंने कपड़ों व जूतों पर बढ़े जीएसटी का भी विरोध किया। कहा कि जीएसटी काउंसिल को पत्र लिखकर व राष्ट्रीय नेतृत्व से इस विषय पर बात करेंगे। दून उद्योग व्यापार मंडल के कार्यकारी अध्यक्ष सिद्धार्थ उमेश अग्रवाल ने कहा कि इस समस्या के खिलाफ एकजुट होना होगा। जिस प्रकार से मल्टीनेशनल कंपनियां उपभोक्ताओं को कम दाम का लालच देकर आकर्षित कर रही हैं। वह अनुचित व्यापार है। इसके साथ ही ई फार्मेसी से कई तरह के नुकसान है। इसके माध्यम से ऐसी दवाएं जो प्रतिबंधित हैं, वह लोगों तक आसानी से पहुंच जाएंगी।
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