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नहीं रहे राज्यसभा सांसद अमर सिंह

  • उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सांसद अमर सिंह की सिंगापुर में इलाज के दौरान मौत
  • कभी समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी माने जाते थे अमर सिंह

लखनऊ। लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे सपा के पूर्व नेता अमर सिंह (64) का आज शनिवार को निधन हो गया। बीमारी के चलते उनका सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। एक समय पर उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले अमर सिंह सपा के मुखिया रहे मुलायम सिंह यादव के करीबियों में शामिल थे। इसी साल फरवरी में उन्होंने अमिताभ बच्चन से माफी भी मांगी थी।
अमर सिंह वर्तमान में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सांसद थे। 5 जुलाई 2016 को उन्हें उच्च सदन के लिए चुना गया था। सपा से अलग होने के बाद उनकी सक्रियता कम हो गई थी। हालांकि बीमार होने से पहले तक उनकी करीबियां भाजपा से बढ़ रही थीं। उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत 1996 में राज्यसभा का सदस्य चुने जाने के साथ ही हुई थी।
अमर सिंह वर्ष 2002 और 2008 में भी राज्यसभा के लिए चुने जाते रहे हैं। सपा नेता मुलायम सिंह यादव के अलावा मेगास्टार अमिताभ बच्चन के परिवार से भी अमर सिंह के बेहद करीबी रिश्ते रहे हैं। पिछले कुछ सालों में इन रिश्तों में खटास जरूर आई थी। इस साल फरवरी महीने में अमर सिंह ने एक वीडियो जारी करके अमिताभ बच्चन से माफी भी मांगी थी।
एक समय मुलायम सिंह यादव के खास कहे जाने वाले अमर सिंह साल 2017 के पहले ही किनारे लगने लगे थे। सपा में शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के झगड़े में अखिलेश ने अमर सिंह को विलन माना। कई बार तो अखिलेश ने खुलेआम अमर सिंह की आलोचना की। बाद में अमर सिंह भी भाजपा के कार्यक्रमों में नजर आने लगे। उन्होंने आरएसएस से जुड़े संगठन को अपने पूरी संपत्ति दान करने का भी ऐलान किया था।
उन्होंने कई बार अपने दिल की बात सोशल मीडिया पर कहीं थीं। जिनमें कुछ खास ये हैं…
‘टूट की चुभन…’
‘आज के दिन मेरे पूज्य पिताजी का स्वर्गवास हुआ था। इस तारीख को पिछले एक दशक से लगातार अमिताभ बच्चन जी संदेश भेजते हैं। जब दो व्यक्तियों में बहुत स्नेह होता है और उसमें कुछ कम या अधिक अपेक्षाएं या उपेक्षाएं होती हैं तो उन संबंधों में बहुत उबाल आता है। बहुत उग्र प्रतिक्रियाएं होती हैं। संबंध जितना अधिक निकट होता है, उसकी टूट की चुभन भी उतनी अधिक नुकीली होती है।’
‘इसी सिंगापुर में 10 साल पहले…’
‘पिछले 10 सालों में मैं बच्चन परिवार से न सिर्फ अलग रहा, बल्कि यह भी प्रयत्न किया कि उनके दिल में मेरे लिए नफरत हो, लेकिन आज अमिताभ बच्चन जी ने मेरे पिताजी का सुमिरन किया तो मुझे ऐसा लगा कि इसी सिंगापुर में 10 साल पहले गुर्दे की बीमारी के लिए मैं और अमित जी लगभग दो महीने तक साथ रहे। इसके बाद हमारा और उनका साथ छूट सा गया…लेकिन 10 वर्ष बीत जाने पर भी उनकी निरंतरता में कोई बाधा नहीं आई। वह लगातार अनेक अवसरों पर चाहे मेरा जन्मदिवस हो या फिर पिताजी के स्वर्गवास का दिन हो, हर दिन को स्मरण करके अपने कर्तव्य का निर्वहन करते रहे हैं।’
‘जिंदगी और मौत की चुनौती के बीच से गुजर रहा हूं’
‘…तो मुझे लगता है कि मैंने भी अनावश्यक रूप से ज्यादा उग्रता दिखाई। साठ से ऊपर जीवन की संध्या होती है और एक बार फिर मैं जिंदगी और मौत की चुनौती के बीच से गुजर रहा हूं। मुझे लगता है कि सार्वजनिक रूप से मुझे और कोई कारण नहीं कि इस कारण कि हमसे उम्र में वह बड़े हैं, उनके प्रति नरमी रखनी चाहिए थी और जो कटु वचन मैंने बोला है, उसके लिए खेद भी प्रकट कर देना चाहिए…क्योंकि मेरे मन में कटुता और नफरत से ज्यादा उनके व्यवहार के प्रति निराशा रही।’
‘न तो निराशा है, न कटुता…’
‘उनके (अमिताभ बच्चन) मन में लगता है कि न तो निराशा है, न कटुता है बल्कि कोई न कोई भाव है। इस वजह से अपने पिताजी को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने जो श्रद्धासुमन अर्पित किए हैं, उनका संप्रेषण करते हुए ईश्वर से यही प्रार्थना है कि सबको ईश्वर उनके कर्मों के अनुसार यथोचित न्याय दे और हमें सब ईश्वर पर छोड़ना चाहिए बजाए इसके कि हम उनके कामकाज में खुद दखल दें।’

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