सब गोलमाल है
- डीएफओ का दावा, पहले से ही ली जा चुकी है सभी कार्यों की अनुमति
- पार्क निदेशक बोले, डीएफओ की ओर से नहीं दिया गया संतोषजनक जवाब
रामनगर (नैनीताल)। कॉर्बेट पार्क के कालागढ़ टाइगर रिजर्व में बिना अनुमति पुल निर्माण और अवैध कटान का मामला एक अधिवक्ता की शिकायत पर दिल्ली हाईकोर्ट में पहुंचा है। बताया जा रहा है कि पुल निर्माण, कटान, दीवार निर्माण सहित कई कामों की जानकारी कॉर्बेट निदेशक को भी नहीं थी। हालांकि उन्होंने कालागढ़ टाइगर रिजर्व के डीएफओ को पत्र लिखकर जानकारी मांगी थी और यह मामला चिट्ठी-पत्री तक ही सिमटा रहा।
गौरतलब है कि कालागढ़ टाइगर रिजर्व में कालागढ़ से पाखरो के बीच जहां 12 पुलों का निर्माण कराया गया, वहीं कई पेड़ों का कटान भी किया गया है। बताया जा रहा है कि जुलाई में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल ने देहरादून जाते समय इन निर्माण और पेड़ों का कटान देखा था। उन्होंने 19 जुलाई को कालागढ़ टाइगर रिजर्व के डीएफओ को पत्र लिखकर इन कार्यों की जानकारी और कार्य कराने की अनुमति के बारे में जानकारी मांगी थी।
इसके बाद भी लगातार निर्माण कार्य होता रहा है और संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। बताया जा रहा है कि अब तक कालागढ़ से पाखरो के बीच 50 से अधिक पेड़ों को काटा गया है और 12 पुलों का निर्माण हुआ है। इस बाबत कालागढ़ टाइगर रिजर्व के डीएफओ किशन चंद्र ने बताया कि कालागढ़ से लेकर पाखरो तक जो भी निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं, वे टाइगर सफारी के लिए कराए जा रहे हैं। उनकी यहां पर पोस्टिंग हुए केवल चार महीने हुए हैं और टाइगर सफारी के लिए कार्यों की पहले से ही स्वीकृत हुई है। लो लाइन एरिया में नदी बहती है और उसके ऊपर छह मीटर के कलमठ बनाये गये हैं। पुलों का निर्माण नहीं हुआ है। हाथी दीवार निर्माण, मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने, लैंटाना उखाड़ने सहित कई कार्य हो रहे हैं। सभी कार्यों की अनुमति ली गई है। कॉर्बेट निदेशक की ओर से लिखे गए पत्र का जवाब भी दे दिया गया था।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल ने बताया कि अवैध कटान और पुल निर्माण सहित अन्य कार्यों की जानकारी होने पर कालागढ़ टाइगर रिजर्व के डीएफओ को पत्र लिखकर जवाब मांगा गया था। जबकि डीएफओ की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। उनके इस स्पष्टीकरण से महकमे की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गये हैं।