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धामी सरकार ने ‘जनहित’ में लिया यू टर्न : अंजाम तक पहुंचेगा त्रिवेन्द्र बनाम उमेश केस!

  • धामी सरकार ने लिया सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी वापस लेने का फैसला

देहरादून। भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और खानपुर के एमएलए उमेश कुमार शर्मा के बीच की अदालती जंग में फिर नया और बड़ा मोड़ आ गया है। धामी सरकार ने ‘जनहित’ में यू टर्न लेते हुए इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी को वापस लेने का फैसला रद्द कर दिया. ये मुकदमा फिर जारी रहेगा। धामी सरकार के इस बदले रुख को त्रिवेंद्र की जीत और बढ़ते कद के रूप में देखा जा रहा है। साथ ही सीएम पुष्कर सिंह धामी से जगह जगह गलबहियां करते नजर आते उमेश को करारा झटका लगा है।उप सचिव अखिलेश मिश्र की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड्स वंशजा मिश्रा को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि सरकार ने एसएलपी को निरस्त करने का फैसला जनहित में रद्द कर दिया है। धामी सरकार के रवैए पर यह भी सवाल उठ रहा है कि जब एसएलपी को निरस्त किया गया था, तब उसे यह ‘जनहित’ क्यों नहीं नजर आया जो अब दिख रहा है। ये मुकदमा पूर्व की तरह जारी रखने के लिए जरूरी कार्यवाही की जाए। ये वाद उत्तराखंड सरकार बनाम उमेश कुमार व अन्य के नाम से दर्ज है। धामी सरकार ने जब अपना वाद वापि लिया था तो माना जा रहा था कि त्रिवेन्द्र के अब सीएम और सरकारी पद पर न रहने की वजह से ये फैसला किया गया। इसको पूर्व सीएम के लिए झटका माना गया था। त्रिवेन्द्र ने बयानबाजी तो नहीं की लेकिन समझा जा रहा है कि वह सरकार के इस फैसले से खुश नहीं थे।त्रिवेन्द्र और उनके करीबी हरेन्द्र सिंह रावत की तरफ से भी उमेश के खिलाफ दो अन्य वाद इसी मामले में अदालत में चल रहे हैं। धामी ने विवाद की आंच उठते देख सुप्रीम कोर्ट में वाद निरस्त करने के फैसले को ही रद्द करना पड़ा।सुप्रीम कोर्ट से वाद वापिस लेने का फैसला निरस्त करने का फैसला इसी की कड़ी के तौर पर देखा जा रहा है। आने वाले दिनों में अब त्रिवेन्द्र बनाम उमेश की लड़ाई क्या रंग लेगी, उस पर नजर सभी की रहेगी। उमेश के रिश्ते भाजपा के कई दिग्गजों से हैं। ऐसे में पार्टी के नेता इस विवाद में बोलने से बचने की कोशिश करते हैं. उमेश ने त्रिवेन्द्र के सीएम रहने के दौरान कई स्टिंग ऑपरेशन करते हुए सरकार को हिला के रखा था। दोनों के रिश्ते तभी से तल्ख़ हो गए थे. जो दुश्मनी की हद तक जा पहुंचे। ख़ास बात ये है कि डॉ रमेश पोखरियाल निशंक (भाजपा सरकार) और हरीश रावत (कांग्रेस सरकार) के कार्यकाल के दौरान उमेश ने दोनों के खिलाफ कई खुलासे स्टिंग के जरिये किए थे. इन दोनों की सरकारों को भी तब उमेश ने खासा झटका दिया था। माना जा रहा है कि धामी सरकार के कई फैसलों से नाराज़ त्रिवेंद्र ने कोई विरोध या बयानबाजी तो नहीं की थी, लेकिन हो रही किरकिरी से बचने और आला कमान की नसीहत के चलते धामी सरकार को यू टर्न लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इसके साथ ही इस मामले को आला कमान पर त्रिवेंद्र की मजबूत पकड़ के रूप में भी देखा जा रहा है।

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