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किसानों ने मोदी सरकार को दिखाया पोस्टर- मरेंगे या जीतेंगे!

अब फिर 15 जनवरी को होगी वार्ता

  • सरकार के साथ किसानों की 9वें दौर की बातचीत भी पहले की तरह रही बेनतीजा
  • किसानों ने तल्ख लहजे में सरकार से कहा, हल निकालने का आपका मन नहीं

नई दिल्ली। मोदी सरकार के साथ आज शुक्रवार को किसानों की 9वें दौर की बातचीत बेनतीजा रही। किसानों ने तल्ख लहजे में मोदी सरकार से कहा कि आप हल निकालना नहीं चाहते हैं। अगर ऐसा है तो हमें लिखकर बता दीजिए, हम चले जाएंगे। इस बैठक में किसान तख्ती लगाकर बैठे थे। इस पर लिखा था- मरेंगे या जीतेंगे। हालांकि किसानों और सरकार के बीच अगली बैठक 15 जनवरी को होगी।
किसान नेता बलबीर राजेवाल ने मंत्रियों से कहा, ‘आप जिद पर अड़े हैं। आप अपने-अपने सेक्रेटरी, जॉइंट सेक्रेटरी को लगा देंगे। नौकरशाह कोई न कोई लॉजिक देते रहेंगे। हमारे पास भी लिस्ट है। फिर भी आपका फैसला है। क्योंकि आप सरकार हैं। लोगों की बात शायद कम लगती है। जिसके पास ताकत है, उसकी बात ज्यादा होती है। इतने दिनों से बार-बार इतनी चर्चा हो रही है। ऐसा लगता है कि इस बात को निपटाने का आपका मन नहीं है। तो वक्त क्यों बर्बाद करना है। आप साफ-साफ जवाब लिखकर दे दीजिए, हम चले जाएंगे।’
आंदोलन के 44वें दिन सरकार और किसानों के बीच विज्ञान भवन में बातचीत चल रही थी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश के सामने किसानों ने कृषि कानून रद्द करने की मांग दोहराई, लेकिन कृषि मंत्री ने साफ इनकार कर दिया।
इससे पहले डेरा नानकसर के मुखी बाबा लक्खा सिंह ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से गुरुवार को एक मीडिएटर (मध्यस्थ) के तौर पर मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय मंत्री ने बाबा लक्खा सिंह को बताया कि सरकार अब एक प्रस्ताव तैयार कर रही है, जिसमें राज्य सरकारों को कृषि कानून लागू करने या न करने की छूट दी जाएगी। डेरा नानकसर भी किसान आंदोलन में शामिल है।
बाबा लक्खा सिंह ने बताया- करीब पौने दो घंटे हुई चर्चा में मैंने कृषि मंत्री से सवाल पूछा कि आपकी बात किसी नतीजे पर खत्म नहीं होती तो क्या उन राज्यों को कानूनों से बाहर रख सकते हैं, जिनमें काफी विरोध है। इस पर तोमर ने सहमति जताई। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर किसानों से बात करने को तैयार हैं। जो राज्य कानून को लागू करना चाहें, वे करें और जो नहीं चाहते वे नहीं करें। अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि आज किसानों के साथ हुई बैठक में सरकार ने इस प्रस्ताव पर चर्चा की है या नहीं।

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