किसान आंदोलन के समापन की भूमिका लगभग तय हो गई है। आज दोपहर दो बजे संयुक्त किसान मोर्चा ने अहम बैठक रखी है। हालांकि, इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय कमेटी ने सुबह 10 बजे एक आपात बैठक बुलाई है। यह बैठक नई दिल्ली इलाके में है। इससे पहले किसानों ने सरकार की ओर से भेजे गए मसौदे पर अपनी असहमतियां भेजी थीं और कहा था कि यदि केंद्र इनमें सुधार कर ले तो आंदोलन वापस ले लिया जाएगा। माना जा रहा है कि पांच सदस्यीय कमेटी की बैठक के बाद केंद्र सरकार के बड़े मंत्री से भी मुलाकात कर सकती है।
Samyukt Kisan Morcha's 5-member committee to hold an urgent meeting in New Delhi at 10 am today
— ANI (@ANI) December 8, 2021
तीन कृषि कानूनों को रद करने और एमएसपी पर काननू बनाने सहित दूसरे मुद्दों पर समिति गठित करने की घोषणा के बाद केंद्र ने पहली बार मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा के पास लिखित प्रस्ताव भेजा। इसमें किसानों की सभी मांगों को मानने का जिक्र है, लेकिन मोर्चा के नेताओं ने उक्त प्रस्ताव का स्वागत करते हुए तीन प्रमुख आपत्तियों के साथ सरकार को वापस भेज दिया। किसानों की तरफ से उम्मीद जताई गई है कि सरकार उनकी चिंताओं पर सहनभूतिपूर्वक विचार कर बुधवार तक अपनी प्रतिक्रिया देगी। इसको लेकर मोर्चा बुधवार दोपहर दो बजे पुन: बैठक करेगा तभी किसी अंतिम निर्णय पर पहुंचा सकेगा। आंदोलन समाप्त होने की किसी प्रकार की घोषणा का मोर्चा नेताओं ने खंडन किया है।
संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता अशोक दावले ने माना कि मंगलवार को दोपहर गृह मंत्रालय की ओर प्रस्ताव आया है, लेकिन इसमें कुछ बिंदुओं पर स्पष्टता नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार और मोर्चा दोनों का मानना है कि यह प्रस्ताव अंतिम नहीं है। इसमें और संशोधन होने की संभावना है। बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि प्रस्ताव में उल्लेख है कि एमएसपी पर गठित होने वाली समिति में संयुक्त किसान मोर्चा के अलावा दूसरे किसान संगठनों को भी शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि तमाम किसान संगठनों ने तीन कृषि कानूनों पर आंदोलन शुरू किया, लेकिन बाद में सरकार के समर्थन में आंदोलन समाप्त कर दिया। इसके अलावा किसान संगठन कृषि कानूनों और कॉरपोरेट खेती का समर्थन व एमएसपी पर कानून बनाने का विरोध करते रहे हैं। सरकार की तरफ से किसानों को प्रस्ताव दिए जाने की बात की न तो पुष्टि की गई है और न ही खंडन। इसलिए यह माना जा रहा है कि आंदोलन को खत्म करने के लिए परदे के पीछे से प्रयास हो रहे हैं।
प्रस्ताव पर किसान मोर्चा की आपत्तियां
प्रस्ताव- 1 : एमसपी पर प्रधानमंत्री ने स्वयं और बाद में कृषि मंत्री ने एक समिति बनाने की घोषणा की है। समिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकार व किसान संगठनों के प्रतिनिधि व कृषि वैज्ञानिक शामिल होंगे। हम इसमें स्पष्टता करना चाहते हैं कि किसान प्रतिनिधि में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
आपत्ति : तीन कृषि कानून का समर्थन, एमसपी पर कानून बनाने का विरोध, सरकार के पक्ष में आंदोनल बीच में समाप्त करने वाले संगठनों को शामिल करना उचित नहीं। इससे समिति में आमराय कायम करना मुश्किल होगा। केवल आंदोलन करने वाले मोर्चा से संबद्ध किसान संगठन के प्रतिनिधि ही शामिल होने चाहिए।
प्रस्ताव-2 : जहां तक किसानों को आंदोलन के वक्त के मुकदमों का सवाल है, यूपी सरकार व हरियाणा सरकार ने इसके लिए पूर्णातय सहमति दी है कि आंदोलन समाप्त करने के तत्काल ही मुकदमें वापस लिए जाएंगे।
(क) किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार के संबंधित विभाग व संघ प्रदेश क्षेत्र के आंदोलन के मुकदमें पर भी आंदोलन वापस लेने के बाद मुकदमें वापस लेने की सहमति बनी है।
आपत्ति : सरकार को मुकदमें समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू करने की समय सीमा बतानी चाहिए। कई राज्य सरकार ने मुकदमें वापस लेने की घोषणा की लेकिन आजतक समाप्त नहीं किए गए। खराब अनुभवों को देखते हुए सरकार लिखित व समयबद्ध तरीका अपनाए।
प्रस्ताव- 3 : मुआवजे का जहां तक सवाल है, इसके लिए भी हरियाणा व यूपी सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है। उपयुक्त दोनों विषय के संबंध में पंजाब सरकार ने भी सार्वजनिक घोषणा कर दी है।
आपत्ति : सैद्धांतिक सहमति देने के बजाए सरकार पंजाब मॉडल की दर्ज पर मृतक किसान परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा व एक सदस्य को नौकरी देने लागू करने की लिखित गारंटी देनी चाहिए।
प्रस्ताव-4 : जहां तक बिजली बिल का सवाल है, संसद में पेश करने से पहले सभी स्टेक होल्डर्स के अभिप्राय लिए जाएंगे।
आपत्ति : पूर्व में सरकार के साथ वार्ता में तय हुआ था कि सरकार उक्त बिल को संसद में लेकर नहीं आएगी। लेकिन संसद की सूची में उक्त बिल अभी भी सूचीबद्ध है। इससे किसानों व आम उपभोक्ता पर बिजली का बिल बहुत बढ़ जाएगा।
प्रस्ताव-5 : जहां तक पराली के मुद्दे का सवाल है, भारत सरकार ने जो कानून पारित किया है, उसकी धारा 14 व 15 में क्रिमिनल लाइबिलिटी से किसान को मुक्त दी है।
आपत्ति : बिल के बिंदु नंबर 15 में जुर्माना व सजा का प्रावधान है।
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