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उत्तराखंड : गांवों की 2400 किमी सड़कों का होगा कायाकल्प!

देहरादून। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तीसरे चरण के तहत प्रदेश सरकार ने तय किया है कि वह 2400 किमी सड़कों का कायाकल्प करेगी। जिन सड़कों का उद्धार किया जाना है, उनकी पहचान के लिए सर्वेक्षण कार्य शुरू हो चुका है। यह सर्वे मई तक पूरा होने के आसार हैं। सर्वे का कार्य पूरा होने के बाद सड़कों के सुधारीकरण के बजट के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजे जाएंगे। 
गौरतलब है कि उत्तराखंड में पिछले 20 वर्षों में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत 14 हजार किमी से अधिक की सड़कों का निर्माण हो चुका है, लेकिन बजट के अभाव में इनकी देखरेख नहीं हो पा रही है। उत्तराखंड समेत कई राज्यों में ग्रामीण सड़कों की देखरेख एक बड़ी चिंता रही है।
पहले व दूसरे चरण की योजना में सड़कों की मरम्मत और सुधारीकरण के लिए धनराशि की व्यवस्था नहीं थी, लेकिन अब केंद्र सरकार ने तीसरे चरण की योजना में प्रमुख ग्रामीण सड़कों की मरम्मत का प्रावधान किया है। इसके लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
जिनके आधार पर सड़कों के चयन के लिए बाकायदा सर्वे होगा। प्रदेश में 2023-24 तक 2400 किमी सड़कों का चयन होना है। इनमें से 1600 किमी का चयन इसी साल हो जाएगा। बाकी 800 किमी सड़कें अगले साल चुनी जाएंगी। सड़कों के सर्वे के लिए तीन प्रमुख एजेंसियां तैनात की गई हैं। गांवों में उन ग्रामीण सड़कों को योजना में प्राथमिकता दी जाएगी जो ब्लाक, तहसील व जिला मुख्यालयों से जुड़ती हैं। जिन सड़कों पर यातायाता अधिक दबाव हैं। ऐसी सड़कें जो स्थानीय खेती और उद्यानिकी, आजीविका आधारित कार्यों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होती हैं। वे सड़कें जो अस्पताल, कॉलेज व अन्य शिक्षण संस्थानों से जुड़ी है।
अपर मुख्य सचिव, ग्राम्य विकास मनीष पंवार ने बताया कि तीसरे चरण के लिए 2400 किमी सड़कों के चयन के लिए सर्वेक्षण का कार्य शुरू हो गया है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के आधार पर सड़कों का चयन किया जाएगा। सर्वे का कार्य पूरा होने के बाद इसके प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजे जाएंगे। पीएमजीएसवाई के सीईओ उदय राज सिंह का कहना है कि तीसरे चरण की योजना में ग्रामीण सड़कों की मरम्मत और सुधार का कार्य होगा। संकीरी सड़कों की चौड़ाई बढ़ाई जाएगी। प्रत्येक ब्लाक की मैपिंग होगी। सर्वे का कार्य में तीन एजेंसियां कर रही हैं।

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