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दो साल बाद दून विवि में हुआ दीक्षांत समारोह, डिग्री पाकर खिले छात्र-छात्राओं के चेहरे

  • समारोह में दून विवि के 2017, 2018, 2019, 2020, 2021 बैच के छात्रों को मिली उपाधि

देहरादून। आज बुधवार को यहां दून विश्वविद्यालय में द्वितीय दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस दौरान हंस फाउंडेशन की प्रणेता माता मंगला और महंत देवेंद्र दास को भी डी लिट की मानद उपाधि प्रदान की गई। एसजीआरआर विवि के कुलपति डॉ. उदय सिंह रावत ने उनके प्रतिनिधि के तौर पर उपाधि प्राप्त की।
कार्यक्रम में कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने विवि की उपलब्धियां गिनाई। राज्यपाल ने कहा कि कठिन मेहनत का कोई विकल्प नहीं। उन्होंने छात्रों से कहा कि आप डिग्री लेकर जा रहे हैं, ये भविष्य की ओर आपका पहला कदम है। हमारे समाज मे बेटियां खड़ी हो गई हैं। इस प्रदेश की महिलाओं में अलग ऊर्जा है।
समारोह में दून विवि के 2017, 2018, 2019, 2020, 2021 बैच के छात्रों को उपाधि प्रदान की गई। वहीं 2017, 2018, 2019, 2020 बैच के स्वर्ण पदक विजेताओं को डिग्री प्रदान की गई। इस वर्ष के दीक्षांत समारोह की थीम सशक्त नारी, सशक्त राष्ट्र पर आधारित है। हंस फाउंडेशन की प्रणेता माता मंगला ने कहा कि हम भारतीय देवियों की पूजा कर करती हैं। हमारी पहाड़ की मातृशक्ति का जीवन बेहद कठिन और मुश्किल है। सभी उपाधि प्राप्त करने वालों को मेरी तरफ से बधाई। हमारे संस्कार बचपन मे गढ़ दिए जाते हैं। उन्होंने मातृ शक्ति और सीडीएस जनरल बिपिन रावत और सभी शहीदों को नमन किया।
उन्होंने कहा कि हंस फाउंडेशन प्रदेश के लोगों को हर तरह की सुविधाएं देने का प्रयास कर रहा है। सतपुली के अस्पताल में देशभर से सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर ला रहे हैं। गर्भवती महिलाओं को बेहतर उपचार व सुविधाएं देने का प्रयास किया जा रहा है। 28 राज्यों में हम काम कर रहे हैं। देहरादून में बच्चे जापानी और स्पेनिश सीख रहे हैं। सच्ची शिक्षा आपसी सम्मान है। आप सब के अंदर संभावनाएं हैं। उत्तराखंड से बाहर मत जाइए, पढ़ाई करनी है तो दून विवि में आइए।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि माता मंगला के बारे में सारी दुनिया जानती है। दो साल पहले यह उपाधियां दी जानी थीं, लेकिन कोरोना के चलते इसमें देरी हुई। दीक्षांत समारोह सभी विश्वविद्यालयों में एक जैसे होंगे। इसके लिए सरकार गाइडलाइन तैयार करेगी। उन्होंने कहा कि देश मे 23 फीसद लड़कियां उच्च शिक्षा लेती हैं। जबकि उत्तराखंड में यह प्रतिशत 40 से ज्यादा है।

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