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त्रिवेंद्र ने दिखाया ‘आईना’ तो प्रेमचंद बैक फुट पर!

पूरी दाल ही निकली ‘काली‘

  • विधानसभा में हुई बैक डोर भर्तियों पर बवाल, पूर्व सीएम ने की जांच की मांग तो बिफरे तत्कालीन अध्यक्ष
  • विधानसभा में हुई भर्ती में मंत्रियों के चहेते और भाई भतीजावाद का खेल आ रहा सामने, भाजपा में सन्नाटा

देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में हुई चहेतों की भर्ती मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी जांच की मांग कर दी है। जिसकी वजह से तत्कालीन अध्यक्ष और वर्तमान वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल बैक फुट पर आते दिख रहे हैं और उन्हें सूझ ही नहीं रहा कि अब इस मामले से कैसे निपटा जाए।विधानसभा में मंत्रियों के पीआरओ और रिश्तेदारों को नौकरी देने के मामले में अब भाजपा के ही दो दिग्गज नेताओं आमने सामने आने से भाजपा में सन्नाटा छाया हुआ है। एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हैं जो विधानसभा भर्ती में हुए भाई भतीजावाद पर जांच करवाने की मांग कर रहे हैं। वही दूसरी तरफ भर्ती करवाने वाले तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष और धामी सरकार में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल खुलेआम इस मामले को सही कहने से पीछे नहीं हट रहे। हालांकि प्रेमचंद गुस्से में मीडिया के सामने यह बोल गये कि उन्होंने विधानसभा में 72 लोगों की भर्ती के लिए खूब भाई भतीजावाद किया है।विधानसभा में इन 72 लोगों की नियुक्ति में मुख्यमंत्री के स्टाफ विनोद धामी, ओएसडी सत्यपाल रावत से लेकर पीआरओ नंदन बिष्ट तक की पत्नियां विधानसभा में नौकरी पर रखी गई हैं। प्रेमचंद के पीआरओ की पत्नी और रिश्तेदार को भी नौकरी दी गई है। मदन कौशिक के एक पीआरओ आलोक शर्मा की पत्नी मीनाक्षी शर्मा ने विधानसभा में नौकरी पाई है तो दूसरे की पत्नी आसानी से विधानसभा में नौकरी लेने में कामयाब हो गई।मजेदार बात यह है कि बिना किसी परीक्षा के पिक एंड चूज के आधार पर सतपाल महाराज के पीआरओ राजन रावत भी विधानसभा में नौकरी पर लग गए। रेखा आर्य के पीआरओ और भाजपा संगठन महामंत्री के करीबी गौरव गर्ग को भी विधानसभा में नौकरी मिली है। इनके साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बड़े पदाधिकारियों के करीबी और रिश्तेदार भी विधानसभा में एडजस्ट किया गया है।उत्तराखंड विधानसभा में अपर निजी सचिव समीक्षा, अधिकारी समीक्षा अधिकारी, लेखा सहायक समीक्षा अधिकारी, शोध एवं संदर्भ, व्यवस्थापक, लेखाकार सहायक लेखाकार, सहायक फोरमैन, सूचीकार, कंप्यूटर ऑपरेटर, कंप्यूटर सहायक, वाहन चालक, स्वागती, रक्षक पुरुष और महिला भर्ती किये गये हैं। इस तरह विधानसभा में गलत तरीके से भाई भतीजावाद करने पर भाजपा सरकार में ही मुख्यमंत्री रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मामले की जांच करवाने की मांग की है। त्रिवेंद्र रावत ने कहा विधानसभा में हुई भर्तियों में इस तरह की गड़बड़ियां है तो इसकी जांच होनी चाहिए और बेरोजगार युवाओं को न्याय मिलना चाहिये।विधानसभा में बेरोजगारों की नौकरियों पर वीआईपी का कब्जा करने पर जहां एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुले रूप से बयान दे रहे हैं. वहीं, उनका इस तरह भर्ती में भाई भतीजावाद के खिलाफ बोलना उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री और उस समय इस भर्ती को कराने वाले प्रेमचंद के गले में फंसता दिख रहा है। पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यह बयान दिया था उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए विधानसभा में भर्ती के लिए परीक्षा कराने का फैसला किया था, लेकिन उनके हटने के बाद भर्ती करा दी गई। इस पर प्रेमचंद ने कहा कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को यह पता होना चाहिए कि अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने भी भर्ती के लिए विज्ञप्ति निकाली थी और परीक्षा करवाई है। ऐसे में इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। प्रदेश में नौकरियों पर मंत्रियों के रिश्तेदार और उनके करीबियों का काबिज होना वाकई चौंकाने वाला है। अब देखना यह है कि यह मामला कभी अंजाम तक पहुंचेगा भी या नहीं।

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