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उत्तराखंड : अब कश्मीर के केसर से महकेगी हर्षिल घाटी!

उत्तरकाशी। हर्षिल घाटी में अब कश्मीर के केसर की खुशबू भी बिखरेगी। उद्यान विभाग ने घाटी के पांच गांवों में केसर की खेती को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। पिछले साल हर्षिल घाटी में कुछ काश्तकारों को ट्रायल के लिए केसर के बीज दिए गए थे, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।
इसी से उत्साहित होकर उद्यान विभाग ने घाटी के सुक्की, झाला, मुखबा, पुराली व जसपुर गांवों में केसर की खेती को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। जहां कुल 38 काश्तकारों को योजना का लाभ दिया जाएगा और लगभग 35 से 37 नाली भूमि पर केसर की खेती होगी। विभाग इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए जम्मू और कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विवि का सहयोग ले रहा है।  

औषधीय गुणों से भरपूर केसर या जाफरान को पूरी दुनिया का सबसे महंगा मसाला माना जाता है। देश में ही केसर की प्रति ग्राम कीमत 100 से 400 रुपये के बीच है। ऐसे में हर्षिल घाटी के काश्तकार केसर की खेती करते हैं तो इससे उनकी आय में भारी वृद्धि होगी। साथ ही कई बार मौसम के प्रतिकूल होने के चलते सेब की फसल बर्बाद होने की स्थिति में केसर की खेती लाभकारी साबित होगी।
गौरतलब है कि हर्षिल घाटी के केसर की खेती के लिए मौसम एकदम अनुकूल है। मुख्य उद्यान अधिकारी डॉ. रजनीश सिंह का कहना है कि केसर की खेती के लिए मुख्य आवश्यकता ठंडे वातावरण की है। हर्षिल घाटी में अच्छी बर्फबारी होती है। नदी द्वारा बहाकर लाई गई मिट्टी (जलोढ़ मृदा) में केसर का अच्छा उत्पादन होता है। हिमालयी क्षेत्र होने के चलते हर्षिल घाटी में भी ऐसी ही मिट्टी है। उन्होंने बताया कि सितंबर-अक्तूबर में बीज लगाने के बाद मई-जून में उत्पादन मिलेगा।  
काश्तकारों को केसर के बीज उपलब्ध कराने के साथ उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा। जरूरत हुई तो बागवानी और वानिकी विवि भरसार व कृषि विवि पंतनगर का भी सहयोग लिया जाएगा।

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