देहरादून। पिछले 11 दिनों में केदार घाटी में 4 बार हिमस्खलन होने को वैज्ञानिक खतरे की घंटी बता रहे हैं। इन घटनाओं का अध्ययन करने के लिए वाडिया इंस्टीट्यूट के 2 वैज्ञानिक आज सोमवार को केदारनाथ में मौके पर पहुंचकर हिमस्खलन की घटनाओं का अध्ययन करेंगे। यह टीम लगातार हो रहे हिमस्खलन को रोकने के उपाय भी सुझाएगी।
गौरतलब है कि केदारनाथ धाम में मंदिर परिसर से करीब पांच से सात किमी की दूरी पर चौराबाड़ी ग्लेशियर के टूटने की घटनाएं हो रही हैं। बीती 22 सितंबर को हिमस्खलन की पहली घटना हुई। उस दृश्य को लोगों ने कैमरे में कैद किया। इसके बाद 26 सितंबर को केदारनाथ के इसी क्षेत्र में हिमस्खलन हुआ। 27 सितंबर को भी केदारनाथ की पहाड़ियों पर हिमस्खलन हुआ था। हालांकि ये घटना रिकॉर्ड नहीं हो पाई थी। 1 अक्टूबर को भी केदारनाथ की पहाड़ी पर हिमस्खलन हुआ था।
इस बारे में वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के चलते जहां गर्मी और बारिश में बदलाव देखने को मिल रहा है, वहीं उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सितंबर-अक्टूबर माह में ही बर्फबारी होने से हिमस्खलन की घटनाएं हो रही हैं। वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. कालाचंद साईं का कहना है कि फिलहाल उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सितंबर-अक्टूबर में हो रही बर्फबारी ग्लेशियरों की सेहत के लिए तो ठीक है, लेकिन हिमस्खलन की घटनाएं चिंता बढ़ा रही है।
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