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हिंसा कर किसान आंदोलन को बदनाम करने की रची जा रही साजिश!

अपने अपने आसमां

  • किसानों को धरनास्थलों पर हिंसा फैलाने की आशंका, लगाया पहरा
  • दिन-रात कर रहे हैं निगरानी संयुक्त किसान मोर्चा के वॉलंटियर
  • केंद्र और प्रदेश सरकार के गुप्तचरों पर भी अन्नदाताओं की निगाह
  • आंदोलन में शामिल होने वाले संदिग्ध लोगों से की जा रही है पूछताछ

नई दिल्ली। खुले आसमान तले कड़ाके की ठंड में अपने हक की लड़ाई लड़ रहे अन्नदाताओं को अब हिंसा फैलाने की आशंका है। उन्होंने संदेह जताया कि कुछ असामाजिक तत्व धरनास्थलों पर हिंसा कर आंदोलन को बदनाम करने के लिए साजिश रच रहे हैं। इसलिए संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसान संगठनों ने सभी सीमाओं पर वॉलंटियर तैनात कर दिए हैं जो दिन-रात प्रत्येक गतिविधि पर नजर बनाए हुए हैं।
इसके साथ ही केंद्र और हरियाणा सरकार के गुप्तचरों पर भी निगाह रखी जा रही है। आंदोलन स्थलों पर संदिग्ध प्रतीत होने वाले प्रत्येक व्यक्ति से पूछताछ की जा रही है। नए कृषि कानूनों को रद्द कराने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग लेकर किसान 32वें दिन भी सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलित रहे। संयुक्त किसान मोर्चा स्पष्ट कह चुका है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं तब तक आंदोलन जारी रहेगा। दिन-प्रतिदिन तीनों सीमाओं पर किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है। रविवार को भी तीनों जगह पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, तमिलनाडु और कर्नाटक के किसान पहुंचे।
पंजाब बॉर्डर किसान वेलफेयर सोसाइटी के पंजाब अध्यक्ष रघुवीर सिंह ढिल्लन का आरोप है कि कुछ पार्टियां आंदोलन तोड़कर अपना स्वार्थ साधने की कोशिश कर रही है। उनका मकसद है कि आंदोलन को किसी भी सूरत में बदनाम किया जाए। भले ही उसमें हिंसा ही क्यों न करनी पड़े, लेकिन अन्नदाता अपनी सहनशक्ति नहीं खोएगा और माहौल कतई खराब नहीं होने दिया जाएगा। इसलिए कुछ किसानों को वॉलंटियर बनाया गया है, जो शिफ्ट में सेवाभाव के साथ ड्यूटी करते हैं।
भारतीय किसान यूनियन (लक्खोवाल) के राष्ट्रीय सचिव परमिंदर सिंह ने कहा कि आंदोलन शांतिपूर्ण चल रहा है। धरनास्थलों पर कोई गड़बड़ी न हो, इसलिए सतर्कता बरती जा रही है। मुख्य मंच तक पहुंचने के लिए कई सुरक्षा घेरों से गुजरना पड़ता है। वॉलंटियरों के अलावा तीनों बॉर्डरों पर मुख्य मंचों के पास बैरिकेडिंग भी की गई है ताकि कोई मंच पर नेताओं को हानि न पहुंचा सके।
हालांकि सभी किसान संगठन अपनी बातचीत को गोपनीय रखते हैं। आपस में विचार-विमर्श करने के बाद ही संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक की जाती है, जिसमें आंदोलन की रणनीति बनाई जाती है। परमिंदर सिंह ने बताया कि कुछ दिनों से गोपनीय बैठकों की बातें सरकारों तक पहुंच गई। आशंका है कि उनमें केंद्र और हरियाणा सरकार के गुप्तचर रहे होंगे। ऐसे गुप्तचरों पर भी शिकंजा कसा जा रहा है। बेहद संजीदगी के साथ उन पर नजर रखी जाती है। वॉलंटियर को पूरा अधिकार दिया गया है कि वे बगैर पहचान पत्र के किसी को भी मंच के आसपास या बैठक में शामिल न होने दें।
इस बाबत संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर 500 से ज्यादा वॉलंटियर लगाए गए हैं। धरनास्थल के आसपास किसी की भूमिका संदिग्ध नजर आती है तो उससे पूछताछ की जाती है। यदि वॉलंटियर बातचीत से संतुष्ट नहीं होते हैं तो उसे धरनास्थल से निकाल दिया जाता है।

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