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मिस्टर केजरीवाल, आपका सिस्टम फेल है…!

हम नहीं सुधरेंगे

  • ऑक्सीजन को लेकर दिल्ली सरकार को हाई कोर्ट ने दिया कड़वा डोज़
  • मोदी सरकार, दवायें और ऑक्सीजन सप्लाई करने वालों को भी दिखाया आईना
  • सप्लायर को नसीहत देते हुए कहा कि यह वक्त गिद्ध बन जाने का नहीं
  • मरीजों को अस्पतालों में बेड-ऑक्सीजन तो मिल नहीं रही, दवा कैसे लेंगे

नई दिल्ली। देश की राजधानी में ऑक्सीजन संकट और कोरोना के कारण पैदा हालात पर आज मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने मोदी और केजरीवाल सरकार को आईना दिखाते हुए कड़ी नसीहत दे डाली। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को एक बार फिर सख्त लहजे में फटकार लगाई।
अदालत ने ऑक्सीजन की कालाबाजारी की खबरों पर कहा कि उनका सिस्टम किसी काम का नहीं है। यह पूरी तरह से फेल नजर आता है। रेमडेसिवियर की कमी पर कोर्ट ने मोदी सरकार से भी सवाल किए। कोर्ट का गुस्सा सुनवाई में आए एक सप्लायर पर भी फूटा और बेहद सख्त लफ्जों में नसीहत देते हुए कहा कि यह वक्त ‘गिद्ध’ बनने का नहीं है।
‘आपका सिस्टम पूरी तरह से फेल है’ : राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन की कमी और मरीजों को हो रही दिक्कत पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा, ‘आपका सिस्टम किसी काम नहीं है। आपका सिस्टम पूरी तरह से फेल है। कालाबाजारी पर लगाम तक नहीं लगा पा रहे हैं आप।’ हाई कोर्ट ने सवाल किया कि कैसे लोग इस वक्त पर भी जरूरी दवाइयों की जमाखोरी कर पा रहे हैं। हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह उन प्लांट को टेकओवर कर ले जो हमारे आदेशों के बावजूद सुनवाई में शामिल नहीं हुए।
हाई कोर्ट ने इनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई को नोटिस भेजे जाने की चेतावनी दी। हाई कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह इन्हीं प्लांट के स्टाफ को उन प्लांट को चलाए और ऑक्सीजन का आवंटन करे।
‘यह वक्त गिद्ध बन जाने का नहीं है’ : हाईकोर्ट में मुल्तान नाम का एक सप्लायर भी पेश हुआ। अदालत ने उससे कहा कि दिल्ली सरकार के आदेशों के मुताबिक वह अस्पतालों को ऑक्सीजन की सप्लाई कर रहे हैं क्या? कोर्ट ने इसके बाद सप्लायर को नसीहत देते हुआ कहा कि यह वक्त गिद्ध बन जाने का नहीं है।
‘बेड-ऑक्सिजन मिल नहीं रहा, रेमडेसिवियर का क्या करेंगे’ :  दिल्ली हाई कोर्ट ने मोदी और केजरीवाल सरकार से पूछा कि जब कोविड-19 रोगियों को व्यापक रूप से रेमडेसिविर दवा लेने की सलाह दी जा रही है, तो फिर राष्ट्रीय राजधानी में इसकी किल्लत क्यों है। केंद्र सरकार ने जब बताया कि रेमडेसिविर का सेवन केवल अस्पतालों में किया जा सकता है, तो अदालत ने कहा कि जब अस्पतालों में कोविड-19 रोगियों के लिए ऑक्सीजन और बिस्तर ही उपलब्ध नहीं है तो वे कैसे इस दवा का सेवन करेंगे।
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और के औषधि महानियंत्रक को इस मामले में पक्षकार बनाते हुए उनके वकीलों को दिल्ली में दवा की किल्लत के बारे में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। दिल्ली सरकार की ओर से अतिरिक्त स्थायी वकील अनुज अग्रवाल को भी ऐसा ही निर्देश दिया गया।
पूछा- क्या ऑक्सीजन सप्लायर्स के साथ बैठक की? : जस्टिस सांघी ने दिल्ली सरकार से पूछा कि क्या उन्होंने ऑक्सीजन सप्लायर्स के साथ बैठक की है। दिल्ली सरकार के एएसजी ने इस पर कहा, ‘हां, दो बार की गई है।’ दिल्ली सरकार से दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, ‘हमें कहीं डिस-कनेक्शन नजर आता है। आप आदेश जारी करते हैं, लेकिन जमीन पर उन पर काम होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। सीनियर एडवोकेट तुषार राव ने अदालत के सामने सुझाव रखा कि यहां तमाम छोटे छोटे अस्पताल हैं और ऑक्सीजन की सप्लाई को बरकरार रखा जाए। इन अस्पतालों में भी तो समस्या को कुछ कम किया जा सकता है।

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