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सेना ने माना, फर्जी था शोपियां एनकाउंटर!

  • आर्मी की जांच पूरी, अपने जवानों के खिलाफ सबूत मिलने पर  सेना ने शुरू की कार्रवाई
  • बीते 18 जुलाई में मजदूरी करने आये तीन निर्दोष युवकों को आतंकी बताकर मार डाला था
  • इससे पहले सेना ने कश्मीर के माछिल में 2010 में एक फर्जी मुठभेड़ में मारे थे तीन लोग
  • जिसके बाद महीनों तक लगाना पड़ा था कर्फ्यू और 100 प्रदर्शनकारियों की हुई थी मौत

श्रीनगर। बीते 18 जुलाई को शोपियां में हुए कथित आतंकी मुठभेड़ की जांच सेना ने पूरी कर ली है। शुरुआती जांच में सेना को मुठभेड़ में शामिल अपने जवानों के खिलाफ सबूत मिले हैं और उन पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। सेना ने बताया कि इस एनकाउंटर के दौरान जवानों ने आर्म्ड फोर्सस स्पेशल पावर एक्ट (अफ्सपा) के तहत मिली शक्तियों का उल्लंघन किया। इस ऑपरेशन में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ द्वारा दिए गए निर्देशों का भी उल्लंघन किया गया।
गौरतलब है कि 18 जुलाई को शोपियां के आशिमपोरा गांव में आतंकी बताकर इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद और मोहम्मद इबरार का एनकाउंटर कर दिया गया था। ये सभी राजौरी के रहने वाले थे। सेना ने कहा था कि ये आतंकी थे और इनके पास से हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किया गया है।
उधर मारे गए लड़कों के परिवार वालों ने कहा था कि ये सभी मजदूर थे और शोपियां में मजदूरी करने गए थे और उनका आतंकवाद से कुछ भी लेना-देना नहीं था। इसके बद पुलिस ने परिजनों के आरोप पर केस दर्ज किया था और लड़कों को डीएनए सैंपल कलेक्ट किए थे। डीएनए सैंपल की रिपोर्ट अभी नहीं आई है पर आर्मी की जांच पूरी हो गई है। आर्मी ने इसे शुक्रवार को जारी किया है।
सेना की जांच में निर्देश दिया गया है कि जो सैनिक इसके जिम्मेदार पाए गए हैं, उनके खिलाफ आर्मी एक्ट के तहत एक्शन शुरू किया जाए। हालांकि एनकाउंटर में मारे गए लोगों का आतंकवाद या इससे जुड़ी गतिविधियों से संबंध था या नहीं?, इसकी जांच पुलिस अभी कर रही है।
इससे पहले भी सेना ने कश्मीर के माछिल सेक्टर में 2010 में एक फर्जी मुठभेड़ में तीन लोगों को मार डाला था, जिसके बाद घाटी के हालात बेहद खराब हो गए थे और कई महीनों तक कर्फ्यू लगाना पड़ा था। इस दौरान 100 से ज्यादा लोगों की पत्थरबाजी और प्रदर्शन करते जान गई थी। इससे पहले 2000 में पथरीबल में पांच नागरिकों की फेक एनकाउंटर में मौत हो गई थी। जिस पर भी कश्मीर में काफी बवाल हुआ था।

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