जोशीमठ। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के कई जगह पर धंसने और दरारें पड़ने से कुछ महीनों बाद शुरू होने वाली बदरीनाथ यात्रा को लेकर चिंता बढ़ गयी है। जोशीमठ नगर में टीसीपी क्षेत्र से लेकर मारवाड़ी पुल तक राष्ट्रीय राजमार्ग काफी पहले से भूधंसाव की चपेट में था, लेकिन हाल में इसके बढ़ने के बाद अब यह और ज्यादा स्थानों पर धंस रहा है।
जोशीमठ आपदा राहत कार्यो की जानकारी देते हुए मुख्य विकास अधिकारी ललित नारायण मिश्र ने बताया कि जोशीमठ नगर क्षेत्र में भूधंसाव के कारण 863 भवनों में दरारें मिली हैं जिनमें से 181 भवन असुरक्षित क्षेत्र में है। मिश्र ने बताया कि जोशीमठ में आपदा प्रभावित 278 परिवारों के 933 सदस्यों को सुरक्षा के दृष्टिगत राहत शिविरों में पहुंचाया गया है जहां उन्हें भोजन, पेयजल, चिकित्सा इत्यादि मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। भूधंसाव वाले इलाकों में धरती के धंसने की रफ्तार की लगातार निगरानी की जा रही है जबकि दरार वाले भवनों के चिन्हीकरण का कार्य भी जारी है।
उधर,जोशीमठ में असुरक्षित घोषित दो होटलों, लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण भवन और तीन निजी भवनों को तोडे जाने का कार्य भी केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान की तकनीकी निगरानी में किया जा रहा है। देहरादून में आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि 310 प्रभावितों को सरकार की ओर से अंतरिम सहायता के रूप में 3.72 करोड रू की धनराशि वितरित की जा चुकी है। जोशीमठ के मारवाडी क्षेत्र में जेपी कॉलोनी में अज्ञात भूमिगत स्रोत से लगातार हो रहे पानी के रिसाव की मात्रा घटकर 182 लीटर प्रति मिनट हो गयी है।
वहीं राज्य सरकार व सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने आईआईटी रुड़की को जांच कर सात दिन के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है। आईआईटी रुड़की यह जांच करेगी कि हेलंग-मारवाड़ी बाईपास बनाने का काम फिर से शुरू करने से कहीं जोशीमठ का भू धंसाव और तो नहीं बढ़ जाएगा। सेना की जरूरतों और बदरीनाथ यात्रा को देखते हुए सरकार हेलंग-मारवाड़ी बाईपास पर जल्द से जल्द काम शुरू कराना चाहती है। लेकिन जब तक आईआईटी रुड़की की रिपोर्ट के साथ उसे हरी झंडी नहीं मिल जाती, तब तक वह एक कदम आगे नहीं बढ़ सकती है।