Saturday , April 27 2024
Breaking News
Home / उत्तराखण्ड / चार धाम यात्रा मार्ग पर लगा कचरे का अंबार ला सकता है फिर तबाही!

चार धाम यात्रा मार्ग पर लगा कचरे का अंबार ला सकता है फिर तबाही!

  • पर्यावरण विशेषज्ञों ने दी चेतावनी, कहा- यह कूड़ा पूरे हिमालय क्षेत्र में सेंसेटिव इकोसिस्टम के लिए खतरा

देहरादून। उत्तराखंड चार धाम यात्रा 3 मई से शुरू हो चुकी है। हर दिन हजारों श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन के लिए जा रहे हैं। कोरोना के कारण दो साल बाद शुरू हुई इस यात्रा में अब जगह-जगह प्लास्टिक की थैलियों, बोतलों सहित कचरे का अंबार दिखाई दे रहा है। इस पर पर्यावरण विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि इस तरह का कचरा पूरे हिमालय क्षेत्र में यह सेंसेटिव इकोसिस्टम के लिए खतरा है।रिपोर्ट के अनुसार इस साल अब तक आठ लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने उत्तराखंड की चार धाम यात्रा की है। यात्रियों के आने से राज्य का खजाना तो भर गया है, लेकिन इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं। जैसे कचरा, विशेष रूप से प्लास्टिक बैग और रैपर, जो पर्यावरण के लिए खतरा हैं। सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें शेयर हो रही हैं। इसमें बर्फ से ढके पहाड़ों में प्लास्टिक की चीजें और कचरे का ढेर नजर आ रहा है। इससे वैज्ञानिकों और पर्यावरण विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है। उनका कहना है कि इससे प्रदूषण और नेचुरल डिजास्टर्स का खतरा भी बढ़ सकता है।गढ़वाल केंद्रीय विवि में भूगोल विभाग के प्रमुख प्रो. एमएस नेगी ने कहा कि जिस तरह से केदारनाथ जैसे संवेदनशील स्थान पर कचरा जमा हो गया है, वह खतरनाक है। जो लैंडस्लाइड का कारण बन सकता है। हमें 2013 की त्रासदी को ध्यान में रखना चाहिए। जून 2013 में बादल फटने से पूरे उत्तराखंड में विनाशकारी बाढ़ और लैंडस्लाइड हुआ। 2004 में भारत में बंगाल की खाड़ी के साथ-साथ श्रीलंका, इंडोनेशिया और अन्य देशों में आई सुनामी के बाद से यह भारत की सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदा थी।उन्होंने बताया कि इस बाढ़ से पूरे उत्तराखंड में 100 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें से 30 मौतें रुद्रप्रयाग जिले में हुई थी। बाढ़ के दौरान केदारनाथ में करीब 3 लाख श्रद्धालु फंस गए थे, जिन्हें बाद में आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के जवानों ने रेस्क्यू कर बचा लिया था। हालांकि उसके बाद भी 4 हजार से ज्यादा लोग लापता हो गए थे।उत्तराखंड में हाई एल्टीट्यूड प्लांट फिजियोलॉजी रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर प्रो. एमसी नौटियाल ने बताया कि पर्यटकों की संख्या कई गुना बढ़ गई है, जिसके कारण प्लास्टिक का कचरा बढ़ गया है। इससे नेचुरल वेजिटेशन प्रभावित हुई है। तीन मई से अब तक चार धाम तीर्थ स्थलों के रास्ते में 57 तीर्थयात्रियों की मौत हुई है। इस पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भक्तों से अपने डॉक्टरों से परामर्श करने के बाद ही तीर्थ यात्रा शुरू करने की अपील की। तीर्थयात्रा के लिए मई महीने के लिए रजिस्ट्रेशन का कोई स्लॉट नहीं बचा है। यात्रियों के लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों ने एक समय में यात्रा करने वाले लोगों की संख्या भी निर्धारित कर दी है।

About team HNI

Check Also

चुनावी मौसम में जनता को राहत, कमर्शियल गैस सिलेंडर हुआ सस्ता…

नई दिल्ली। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 19 किलोग्राम वाले कमर्शियल सिलेंडर की कीमत में कटौती …

Leave a Reply