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‘प्यारी पहाड़न’ के नाम से क्यू बरपा हंगामा!

कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता…

  • विरोध करने वालों से सोशल मीडिया पर सवाल पूछने वालों की आई बाढ़
  • पूछा नाम में तो नहीं, लेकिन तुम्हारी सोच में ही लग रहा लोचा

देहरादून। ‘जफा के नाम पर तुम क्यों संभलकर बैठ गये, बात तुम्हारी नहीं बात जमाने की है।’ यह शेर यहां इसलिये मौजू है क्योंकि मात्र दो दिन पहले देहरादून में खुला ‘प्यारी पहाड़न’ रेस्ट्रो खासा चर्चाओं में है। जहां पहाड़ की माटी से जुड़े अधिकतर लोग इस बेहतरीन कोशिश की सराहना कर रहे हैं, वहीं चंद लोग इसके विरोध की आड़ में अपनी सियासत चमकाने का मौका ढूंढ रहे है।  
पहाड़ से भावनात्मक रूप से और पहाड़ की जड़ों से जुड़े लोगों ने पहाड़ की बेटी प्रीति के इस मौलिक पहल को सराहा तो कुछ पहाड़ की लोक संस्कृति के स्वयंभू ‘चौकीदारों’ को उनका यह स्वरोजगार और अन्य को रोजगार की राह दिखाने वाला प्रयास भाया नहीं और ऐसे चंद सदा विघ्न संतोषी लोगों ने इस सीधी सादी सोच में सियासत की जलेबी बनाने का मौका तलाश लिया और उन्होंने ये बताकर हंगामा किया कि वे इस नाम यानी ‘प्यारी पहाड़न’ नाम से रेस्ट्रो नहीं चलने देंगे, इस नाम से ‘पहाड़न’ का नाम खराब हो रहा है।
दिलचस्प बात यह है कि अगर यह मामला किसी बाहरी लोगों द्वारा इस नाम से रेस्ट्रो खोलने का होता तब तो कुछ कहा जा सकता था, लेकिन जब रेस्ट्रो की मालिक भी एक ठेठ पहाड़न ही है तो ऐसे में इन लोगों को कौन समझाए कि नाम भी सही है और काम भी उतना ही सही है, लेकिन तुम्हारी सोच में ही लोचा है, जिसे सुधारने की जरूरत है।
इस नाम से रेस्ट्रो चलानी वाली बहन प्रीति को पहले दिन से ही सोशल मीडिया से लेकर हर जगह से सपोर्ट मिलना शुरू हो गया है। जिससे कई तालिबानी सोच वालों के पेट में मरोड़ उठनी शुरू हो गई है। प्रीति ने देहरादून में बंजारावाला रोड कारगी चौक से 100 कदम की दूरी पर ‘प्यारी पहाड़न’ रेस्ट्रो के नाम से नया रेस्टोरेंट खोला है। अपनी मेहनत की पाई-पाई जोड़कर एक सुन्दर रेस्टोरेंट में वह इंडियन तंदूर व चाइनीज व्यंजनों के साथ पहाड़ के पारंपरिक व्यजंनों को भी प्रमोट करना चाहती है वो भी फ्री होम डिलीवरी के साथ। इसके साथ ही वह लोगों को अपने रेस्टोरेंट में रोजगार दे रही हैं। ऐसे कठिन दौर में भला इससे बेहतर क्या हो सकता है।
अब तस्वीर का वो स्याह पहलू देखिये… दो दिन पहले ही कुछ लोग जो अपने आपको क्रांतिकारी बता रहे थे, रेस्टोरेंट में घुसकर हंगामा और बखेड़ा भी खड़ा करने लगे। रेस्ट्रो में तोड़-फोड़ करने का भी प्रयास किया गया, लेकिन अब वो लोग बगलें झांकने में लगे हैं जब सोशल मीडिया पर नाम को लेकर हो रही चर्चाओं में प्रीति को उत्तराखंड के लोगों का खूब सपोर्ट मिल रहा है। साथ ही मीडिया और समाजसेवी भी प्रीति के सपोर्ट में उतर आये हैं। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब उत्तराखंड में ऐसी ओछी राजनीति करने वालों को पनपने नही दिया जाएगा।
उधर प्रीति का कहना है… ‘देहरादून में कई ऐसे संस्थानों के नाम पहाड़ और उत्तराखंड के नाम से रखे गए हैं, उनका आज तक किसी ने विरोध नही किया। असल में जो लोग विरोध कर रहे हैं, उनको पहाड़न शब्द का मतलब ही पता नहीं है। पहाड़न का मतलब है प्यारी बेटी जो हम गढ़वाल में बोलते है और इसी ‘पहाड़न’ के नाम से रोजगार शुरू किया। जिस पर कुछ नेता टाइप लोग अपनी राजनीति चमकाने के लिए मुझे परेशान कर रहे है।’ इसलिये हे विघ्न संतोषियों
तुम धन्य हो, तुम्हें धिक्कार है।

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