मसूरी। मसूरी की हसीन वादियों के साथ-साथ अब सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। मसूरी के पार्क एस्टेट हाथी पांव में 172 एकड़ जमीन में बने सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस और इससे लगभग 50 मीटर दूरी पर स्थित प्रयोगशाला का जीर्णोद्धार किया गया। 18 जनवरी 2019 को पर्यटन मंत्री ने इस कार्य का शिलान्यास किया था। वहीं, जीर्णोद्धार कार्य पूरा होने के बाद आज मंगलवार को जॉर्ज एवरेस्ट हाउस परिसर में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने लोकार्पण किया। इस दौरान महाराज ने कहा कि 1832 में निर्मित जॉर्ज एवरेस्ट हाउस, जिसमे भारत के पहले सर्वेयर जनरल सर जॉर्ज एवरेस्ट रहा करते थे। यहीं से उन्होंने कई हिमालयी पर्वत चोटियों को खोजा था। यह घर कुछ दशक पहले क्षतिग्रस्त और जीर्ण शीर्ण हो गया था।
प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा इसका जीर्णोद्वार किया गया है। इसमें मुख्य जॉर्ज एवेरेस्ट हाउस के अलावा आउट हाउस, ऑब्ज़रवेट्री, संपर्क मार्ग तथा परिसर को डेवलप किया गया है। अभी यहां पर स्टार गेजिंग कार्य होना है, जिसको शीघ्र ही पूरा कर लिया जाएगा। बता दें कि उत्तराखंड पर्यटन संरचना विकास निवेश कार्यक्रम के तहत एशियन डेवलपमेंट बैंक की वित्तीय सहायता से खंडहर हो चुके सर जार्ज एवरेस्ट हाउस को जीर्णोद्धार किया है। जिस पर लगभग 23.69 करोड़ की राशि खर्च की गई। जीर्णोद्धार कार्य में जार्ज एवरेस्ट हाउस के मूल स्वरूप को बरकरार रखा गया। अंग्रेजों की तर्ज पर सीमेंट की जगह चक्की में पीस कर बनाए गए मिश्रण से दोबारा बनाया गया है। इसके जीर्णोद्धार में चक्की में चूना, सुर्खी, मेथी और उड़द की दाल को पानी के साथ पीसकर सीमेंट जैसा लेप बना कर लाहौरी ईंटों का प्रयोग किया गया है। जॉर्ज एवरेस्ट पर बनाए गए प्रतीक्षालय यहां आने वाले पर्यटकों को बेहतर और आनंदमय अनुभव दे रहे हैं। साथ ही पर्यटकों को बेहतर सुविधा देने के लिए जगह-जगह सूचना पट लगाए गए हैं। जॉर्ज एवरेस्ट पर पर्यटकों के बढ़ते दबाव को देखते हुए बूम बैरियर के पास पार्किंग स्थल बनाने के साथ रिसेप्शन काउंटर भी बनाया गया है। जहां से पर्यटकों को जॉर्ज एवरेस्ट से संबंधित सभी जानकारियां आसानी से उपलब्ध कराई जा रही है।
1832 में हुआ था सर जॉर्ज एवरेस्ट के घर और प्रयोगशाला का निर्माण…
सर जॉर्ज एवरेस्ट का घर और प्रयोगशाला मसूरी में पार्क रोड में स्थित है, जो गांधी चौक लाइब्रेरी बाजार से लगभग छह किमी की दूरी पर पार्क एस्टेट में स्थित है। इस घर और प्रयोगशाला का निर्माण वर्ष 1832 में हुआ था। जिसे अब सर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस एंड लेबोरेटरी या पार्क हाउस नाम से जाना जाता है। यह ऐसे स्थान पर है, जहां दूनघाटी, अगलाड़ नदी और बर्फ से ढकी चोटियों का मनोहारी नजारा दिखाई देता है। जॉर्ज एवरेस्ट का यह घर अब ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की देख-रेख में है। यहां आवासीय परिसर में बने पानी के भूमिगत रिजर्व वायर आज भी कौतुहल बने हुए हैं। इस एतिहासिक धरोहर को निहारने हर साल बड़ी तादाद में पर्यटक यहां पहुंचते हैं।
मसूरी में गूजारा जीवन का लंबा अरसा…
जिन सर जॉर्ज एवरेस्ट के नाम पर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी का नाम ‘माउंट एवरेस्ट’ रखा गया, उन्होंने जीवन का एक लंबा अर्सा पहाड़ों की रानी मसूरी में गुजारा था। वेल्स के इस सर्वेयर एवं जियोग्राफर ने ही पहली बार एवरेस्ट की सही ऊंचाई और लोकेशन बताई थी। इसलिए ब्रिटिश सर्वेक्षक एंड्रयू वॉ की सिफारिश पर वर्ष 1865 में इस शिखर का नामकरण उनके नाम पर हुआ। इससे पहले इस चोटी को पीक-15 नाम से जाना जाता था। जबकि, तिब्बती लोग इसे ‘चोमोलुंग्मा’ और नेपाली ‘सागरमाथा’ कहते थे। मसूरी स्थित सर जॉर्ज एवरेस्ट के घर और प्रयोगशाला में ही वर्ष 1832 से 1843 के बीच भारत की कई ऊंची चोटियों की खोज हुई और उन्हें मानचित्र पर उकेरा गया। जॉर्ज वर्ष 1830 से 1843 तक भारत के सर्वेयर जनरल रहे।